लाइफस्टाइल डेस्क। इतने सारे गैजेट्स होने के बावजूद आज भी हम सभी के जीवन में टेलीविजन का अलग ही महत्व है। आज जो शोहरत टीवी को प्राप्त हुई है, वो ऐसे ही नहीं मिल गई बल्कि इसके लिए टेलीविजन ने लंबा सफर तय किया है। बड़ा सा ब्लैक एंड वाइट बक्सा आज स्लीम ट्रीम एलइडी टीवी में परिवर्तित हो चुका है और विस्तार अभी भी जारी है। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि टेलिविजन का सबसे अधिक विस्तार 80 से 90 के दशक में हुआ है।
इतना सब होने के बावजूद टीवी पर लांछन भी कम नहीं लगे हैं, इसे बुद्धिजीवियों ने बुद्धु बक्से तक की संज्ञा दी है। टीवी का संघर्ष, उपयोगिता, भविष्य आदि पर चर्चा करने के लिए ही प्रतिवर्ष विश्व में 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलीविजन डे मनाया जाता है। अगली स्लाइड्स से जानिए विश्व टेलीविजन दिवस का महत्व और इतिहास।
दिसंबर 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 नवंबर को विश्व टेलीविजन दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की थी। दरअसल, इसी साल 21 नवंबर को पहले विश्व टेलीविजन फोरम की स्थापना की गई थी। इस फोरम की स्थापना के उपलक्ष्य में ही यह दिवस मनाया जाता है। इस फोरम का उद्देश्य एक ऐसा मंच उपलब्ध कराना था जहां टीवी के महत्व पर बात की जा सके। साथ ही टीवी का विस्तार, सूचना जगत में इसका योगदान आदि को भी समय के साथ सभी के सामने लाना जरूरी था क्योंकि टीवी न सिर्फ जनमत को प्रभावित करता है बल्कि बड़े-बड़े फैसलों पर भी असर डालता है।
अमेरिकी वैज्ञानिक जॉन लॉगी बेयर्ड ने साल 1927 में टेलीविजन का आविष्कार किया था। कई असफलताओं के बाद आविष्कार के 7 सालों के अंतराल में टीवी को इलेक्ट्रॉनिक रूप देने की कोशिश जारी रही और साल 1934 में ये यंत्र पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक स्वरुप धारण कर चुका था। इसके बाद 2 साल के अंदर ही कई आधुनिक टीवी के स्टेशन खोल दिए गए। धीरे -धीरे यह मनोरंजन और सूचना के प्रचार-प्रसार का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया।
भारत में पहली बार टीवी 1950 में आया। चेन्नई के एक इंजीनियरिंग करने वाले स्टूडेंट ने प्रदर्शनी में पहली बार टेलीविजन सबके सामने रखा। भारत में पहला टेलीविजन सेट कोलकाता के एक अमीर नियोगी परिवार ने खरीदा था। 1965 में ऑल इंडिया रेडियो ने रोजाना टीवी ट्रांसमिशन शुरू कर दिया। 1976 में सरकार ने टीवी को ऑल इंडिया रेडियो से अलग कर दिया। 1982 में पहली बार राष्ट्रीय टेलीविजन चैनल की शुरुआत हुई। इसी साल देश में पहला कलर टीवी भी आया।