हर साल हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष (Pitru Paksha) मनाया जाता है. इस दौरान मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अलग-अलग उपाय किए जाते हैं. इस दौरान जहां एक तरफ शुभ कार्य वर्जित होते हैं. वहीं दूसरी तरफ आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की पर गजलक्ष्मी व्रत रखा जाता है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि हर वर्ष महालक्ष्मी व्रत (MahaLaxmi Vrat) भादों मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. यह व्रत 16 दिन चलता है और 16वें दिन यानि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को गज लक्ष्मी व्रत (Gaj Laxmi Vrat) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी हाथी पर विराजमान होती हैं. इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं गजलक्ष्मी की पूजा के महत्व के बारे में.
सोना खरीदना होता है शुभ
हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी मां को धन और समृद्धि के लिए पूजा जाता है. माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं. मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से अगर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, तो वह रंक को भी राजा बना देती हैं. गजलक्ष्मी व्रत (Gaj Laxmi Vrat) के दौरान सोना खरीदना बहुत ही शुभ होता है. मान्यता है कि इस दिन खरीदा गया सोना आठ गुना बढ़ जाता है.
इस बार 17 सितंबर को गजलक्ष्मी व्रत पड़ रहा है. इसे गजलक्ष्मी व्रत के अलावा महालक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है. बहुत जगहों पर लक्ष्मीपर्व 16 दिनों का भी मनाया जाता है और 16 दिन परिवार मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करके 17वें दिन उद्यापन करता है.
गजलक्ष्मी (Gaj Laxmi Vrat) पर्व का महत्व
गजलक्ष्मी व्रत (Gaj Laxmi Vrat) के समय मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा की जाती है. इस व्रत में रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन व्रत रखने वाले जातक अन्न ग्रहण नहीं करते हैं. इसे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है. महालक्ष्मी व्रत रखने से धन, धान्य, सुख, समृद्धि, संतान आदि की प्राप्ति होती है. इसके बाद महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है.