किसी भी पूजन या शुभ काम के अंत में भगवान की आरती (Aarti) जरूर की जाती हैं। सभी आरती का हिस्सा बनकर भगवान की पूजा करते हुए आशीर्वाद पाने की कामना करते हैं। कई लोग आरती तो करते हैं लेकिन इससे जुड़े नियम नहीं जानते हैं जिसकी वजह से अनजाने में आरती करने के दौरान गलती हो जाती हैं। ऐसे में आज हम आपको धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में वर्णित आरती से जुड़े नियमों की जानकारी देने जा रहे हैं जिनका पालन कर अपनी पूजा को सफल बनाया जा सकता हैं। तो आइये जानते हैं इन नियमों के बारे में।
आरती (Aarti) को कितनी बार घुमाना चाहिए
सबसे पहले भगवान के चरणों की ओर चार बार, नाभि की ओर दो बार, मुख की ओर एक बार फिर भगवान के समस्त श्री अंगों में यानी सिर से चरणों तक सात बार आरती घुमाएं। इस तरह से आरती करने में (4+2+1+7 = 14) चौदहों भवन जो भगवान में समाए हैं उन तक आपका प्रणाम पहुंचता है। ध्यान रखें कि आरती हमेशा भगवान के श्री चरणों से ही प्रारंभ करनी चाहिए।
कितने दीपों से आरती (Aarti) करें
पुराणों में बताया गया है कि आरती सदैव पंचमुखी ज्योति या सप्तमुखी ज्योति से करना ही सर्वोतम है। यानी दीपक में 5 या फिर 7 बाती लगाकर ही भगवान की आरती करनी चाहिए। इसके साथ ही शंख और घंटी का प्रयोग आरती में जरूर होना चाहिए। आरती के बीच में शंखनाद जरूर होना चाहिए।
दीपक को कैसे और कहां रखें
कालिका पुराण में बताया गया है दीपक को धरती पर रखने से धरती पर ताप बढ़ता है, इसलिए कभी दीपक को धरती पर न रखें। दीपक को आसन या थाली में ही रखें। दीपक को स्थापित कर, उसका पूजन कर और उसको प्रज्ज्वलित करने (यानी जलाने) के बाद हाथ को प्रक्षालित यानी जल से धोना अवश्य किया जाए।
घी का दीपक जलाएं या तेल का
शास्त्रों में या तो शुद्ध घी का या तिल के तेल का दीपक जलाने का प्रमाण है, पर सरसों, नारियल आदि के तेल का दीपक जलाने की बात कहीं नहीं कही गई है। इसके साथ ही ध्यान रखें कि घी का दीपक हमेशा भगवान के दक्षिण तरफ यानी सीधे हाथ की ओर और तिल का दीपक वाम भाग यानी बाईं ओर रखा जाता है।
दीपक का मुख किस और हो
दीपक किस दिशा में रखा जाता है, इस बारे में पुराणों में बताया गया है कि दीपक का मुख पूर्व दिशा में होगा तो वह आयु बढ़ाने वाला होगा। उत्तर की तरफ वाला धन-धान्य देने वाला होता है। पश्चिम की तरफ दुख और दक्षिण की तरफ हानि देने वाला होता है।
कौन सी बाती होनी चाहिए
घी के दीपक में हमेशा कपास की बाती और तिल के तेल में लाल मौली की बाती होनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि घी को तेल के साथ मिलाकर कभी भी दीप में न डालें। अगर आपको जलाना है तो या सिर्फ घी का या फिर सिर्फ तिल के तेल का दीपक ही जलाएं।
आरती (Aarti) से जुड़े अन्य नियम
– आरती कभी भी अखंड दीप या उस दीप से न करें जो आपने पूजा के लिए जलाया था।
– आरती कभी भी बैठे-बैठे न करें।
– आरती हमेशा दाएं हाथ से करें।
– कोई आरती कर रहा हो तो उस समय उसके ऊपर से ही हाथ घुमाना नहीं चाहिए, यह काम आरती खत्म होने के बाद करें।
– आरती के बीच में बोलने, चीखने, छींकने आदि से आरती खंडित होती है।
– दीपक की व्यवस्था इस प्रकार करें कि वह पूरी आरती में चले।
– आरती कभी भी उल्टी न घुमाएं, आरती को हमेशा Clockwise (यानी दक्षिणावर्त, जैसे घड़ी चलती है) में घुमाएं।