लड़कियों की शादी का सही उम्र तय करने के लिए महिला एवं बाल कल्याण विकास मंत्रालय ने एक कमेटी का गठन किया है। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद माना जा रहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र तीन साल और बढ़ाई जा सकती है। वर्तमान में 18 साल की उम्र में लड़कियों को शादी करने की कानूनी इजाजत मिली हुई है।
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माना जा रहा है कि शादी की उम्र बढ़ाने से मातृ मृत्यु दर में कमी आएगी। साथ ही मां और शिशु को बेहतर पोषण उपलब्ध कराए जाने में भी मदद मिलेगी। सरकार के फैसले के पीछे सुप्रीम कोर्ट का 2017 में आया एक आदेश भी हो सकता है। जिसमें शादी के लिए न्यूनतम उम्र पर फैसला लेने का काम सरकार पर छोड़ दिया गया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र में महिला उत्थान के बारे में इसका जिक्र किया था। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 27 फीसद लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र में जबकि 7 फीसद लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र में हो रही है। जिसके चलते लड़कियों को कम उम्र में मां बनना पड़ रहा है। साथ ही प्रसव के दौरान मौत की घटना भी सामने आ रही है।
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केंद्र सरकार लड़कियों की शादी की उम्र18 साल से बढ़ा कर 21 साल करने के फैसले पर है। इससे मातृ मृत्यु दर में कमी आएंगी और बुद्धि विकास भी हो पाएंगा। केंद्र सरकार की मंशा जन्म के समय होने वाली मौत के आंकड़ों को और कम करने का है। यूनाइटेड नेशन्स पापुलेशन फंड के मुताबिक साल 2010 में महिलाओं के लिए 158 देशों में शादी की न्यूनतम उम्र की सीमा 18 साल थी।