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डायबिटीज का नया रूप, जानिए इसके लक्षण

Diabetes

Diabetes

डायबिटीज (Diabetes) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज तो नहीं है, लेकिन सही खानपान, दवाएं और लाइफस्टाइल में बदलाव से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। सामान्यत: डायबिटीज के दो प्रमुख प्रकार होते हैं, टाइप-1 और टाइप-2, जिनमें से टाइप-2 अक्सर मोटापे और इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़ा होता है। लेकिन अब हाल ही में एक नए प्रकार की डायबिटीज, जिसे टाइप-5 डायबिटीज कहा गया है, का पता चला है।

इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) ने हाल ही में टाइप-5 डायबिटीज को एक नया रूप मान्यता दी है, जो विशेष रूप से किशोरों और वयस्कों में देखा जा सकता है। यह टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज से पूरी तरह से अलग है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

टाइप 5 डायबिटीज (Diabetes) क्या है?

IDF के अनुसार, टाइप-5 डायबिटीज को सीवियर इंसुलिन-डेफिशिएंट डायबिटीज (SIDD) कहा जाता है, जो टाइप-2 डायबिटीज (जो मोटापे और इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़ा होता है) के ठीक विपरीत है। यह मुख्य रूप से पुराने कुपोषण (Malnutrition) के कारण होता है, खासकर बचपन के शुरुआती विकास के दौरान।

IDF का कहना है, “टाइप-5 डायबिटीज के कारण इंसुलिन का स्तर बहुत कम हो सकता है और मेटाबॉलिज्म पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। यह बीमारी एशिया और अफ्रीका में सबसे ज्यादा प्रचलित है। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, यह बीमारी 1955 में जमैका में पाई गई थी। 70 साल से ज्यादा समय से मौजूद इस बीमारी को अक्सर अनदेखा किया गया है और इसे कई बार टाइप-1 या टाइप-2 के रूप में गलत तरीके से निदान किया गया है।”

टाइप 5 डायबिटीज (Diabetes) के लक्षण

टाइप-5 डायबिटीज (Diabetes) के कुछ प्रमुख लक्षण (Type 5 Diabetes Symptoms) हैं, जिन पर ध्यान देना आवश्यक है:

– लगातार थकान महसूस होना
– शारीरिक विकास में कमी
– बार-बार संक्रमण होना
– ज्यादा पेशाब आना
– घावों का ठीक न होना
– त्वचा पर काले धब्बे
– याददाश्त कमजोर होना
– अत्यधिक प्यास लगना
– पाचन संबंधी समस्याएं और भूख की कमी
– बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन में कमी या वजन न बढ़ना

टाइप 5 डायबिटीज (Diabetes) कैसे होती है?

IDF के अनुसार, टाइप-5 डायबिटीज, जिसे कुपोषण से संबंधित डायबिटीज भी कहा जाता है, मुख्य रूप से क्रोनिक मेल्न्यूट्रिशन (पोषक तत्वों की कमी) के कारण होता है, विशेषकर बचपन या किशोरावस्था में। यह टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज से अलग है, और इसे अक्सर लंबे समय तक पोषक तत्वों की कमी के कारण पैनक्रियाज के विकास में कमी के कारण विकसित होता है।

इसका मतलब यह है कि यदि किसी व्यक्ति ने बचपन में पर्याप्त पोषण नहीं पाया, तो उसका पैनक्रियाज सही तरीके से विकसित नहीं हो पाता और इंसुलिन का उत्पादन भी कम हो जाता है, जो टाइप 5 डायबिटीज का कारण बन सकता है।

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