अमेरिकी मीडिया के अनुमानों के मुताबिक जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप को हरा दिया और ओबामा प्रशासन में पूर्व उपराष्ट्रपति डेमोक्रेट नेता अगले राष्ट्रपति बने। जो बाइडेन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बने, जिन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक स्थिरता और अर्थव्यवस्था को उबारने के वादे पर वोट मांगा।
बाइडेन की सहयोगी डेमोक्रेट नेता कमला हैरिस अमेरिकी इतिहास की पहली महिला उपराष्ट्रपति चुनी गईं हैं।
इस महीने के आखिर में 78 साल के होने जा रहे जो बाइडेन की राष्ट्रपति चुनाव में ये तीसरी बाजी थी। आइए जानते हैं ट्रंप को हराने वाले बाजीगर बाइडन की 10 बड़ी बातें…
1- जो बाइडन के नाम से मशहूर बाइडन का पूरा नाम कम लोग जानते हैं। दरअसल, जो बाइडन का पूरा नाम जोसेफ रॉबिनेट बाइडन जूनियर है। उनका जन्म पेनसिल्वेनिया के स्कैंटन में हुआ था लेकिन जल्दी ही पिता के साथ उन्हें डेलावेयर जाना पड़ा। यहां से उनके जीवन ने नया मोड़ लिया। वे युवाकाल में ही राजनीति में आ गए। छह बार सीनेट के लिए चुने गए और बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान उप-राष्ट्रपति पद संभाला।
2- एसोसिएटेड प्रेस को दिए अपने एक इंटरव्यू में बाइडन के बचपन के दोस्त जिम कैनेडी याद करते हैं कि वे छुटपन में कितने अलग हुआ करते थे। बकौल कैनेडी बाइडन स्कूल के दिनों में काफी हकलाया करते थे। हकलाते हुए बोलने की उनकी ये समस्या इतनी ज्यादा थी कि खुद एक स्कूल टीचर ने उन्हें बी-बी ब्लैकबर्ड बुलाना शुरू कर दिया था। बाइडन ने तब भी हार नहीं मानी। वे हकलाते हुए ही बोलने की प्रैक्टिस करते रहे और तब जाकर रुके, जब दुनिया ने उन्हें शानदार वक्ता मान लिया।
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3- चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप अपने विपक्षी को लगातार ‘स्लीपी जो’ बताया करते थे। ये एक तरह से मतदाताओं को चेतावनी थी कि 77 साल के नेता के हाथ में अमेरिका की डोर जाना खतरनाक हो सकता है। बता दें कि बाइडन राजनीति में काफी सालों से सक्रिय होने के बाद भी आक्रामक नहीं हो सके, ये भी शायद उनकी छवि के खिलाफ जाता था। लेकिन अब 270 से ज्यादा इलेक्टोरल वोटों के साथ यही स्लीपी जो अमेरिका का दिल जीतते दिख रहे हैं।
4- जो बाइडन ने एक किताब लिखी है- Promises to Keep. इसमें उनके जीवन के हर उतार-चढ़ाव का जिक्र है। वे लिखते हैं कि अपनी आइरिश मां से उन्हें मुश्किल से लेकर आसान काम करना तक आया। वहीं पिता को रोज सुबह बिना छुट्टी लिए काम पर जाते देखा, जो उन्हें कतई पसंद नहीं था। वे मानते हैं कि पिता का रोज उठना और चल पड़ना ही उन्हें लगातार उठने के लिए प्रेरित करता रहा।
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5- उबरने के बाद की एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे वे हर समय खुदकुशी के बारे में सोचा करते थे। जैसे-तैसे वे संभले ही थे कि साल 2015 में दोबारा एक हादसा हुआ। बाइडन के सबसे बड़े बेटे ब्यू को ब्रेन कैंसर की पुष्टि हुई। कैंसर एडवांस स्टेज में था और जल्द ही वे भी नहीं रहे। सिलसिला तब भी नहीं रुका। छोटे बेटे हंटर को कोकीन लेने के आरोप में अमेरिकी नेवी से बर्खास्त कर दिया गया।
6- साल 1972 में बाइडन की पहली पत्नी नीलिया और उनकी एक साल की बेटी नाओमी एक कार एक्सीडेंट में मारे गए। तब बाइडन काफी टूट गए थे। उनके साथ दो छोटे बेटे भी थे, जिनकी देखभाल के लिए बाइडन ने सीनेट से इस्तीफा देना चाहा, लेकिन मित्रों ने उन्हें किसी तरह से रोक लिया। तब जो बाइडन नामक ये पिता रोज रात वॉशिंगटन से डेलावर की लंबी दूरी तय करता था ताकि अपने बेटों को गुडनाइट कह सके।
7- बड़े बेटे की मौत के दौरान जो बाइडन ओबामा के कार्यकाल में उप-राष्ट्रपति थे। ये उनका दूसरा टर्म था। लोग अनुमान लगाते थे कि बाइडन अब राष्ट्रपति पद की दावेदारी के लिए तैयार हैं। हालांकि तब परिवार के दर्द में साथ देने के लिए बाइडन ने साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लिया।
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8- अमेरिका का राष्ट्रपति बनना दशकों से जो बाइडन की ख्वाहिश रही। साल 1980 में उन्होंने इस ओर पहला कदम बढ़ाया। लगातार कोशिशों के बीच बाइडन साल 2008 में ओबामा मंत्रिमंडल में उप-राष्ट्रपति बने और दो टर्म तक रहे।
9- साल 2016 में राष्ट्रपति चुनाव से लगभग सालभर पहले जब बाइडन ने चुनाव न लड़ने का फैसला लिया जो राजनीति के जानकारों ने उनका मजाक बनाया। लिखा गया कि अंकल जो शायद काफी उम्रदराज हो चुके हैं। लेकिन अब बाइडन दोबारा लौटे हैं और काफी संभावना है कि वाइट हाउस इस बार उनका घर बन जाए।
10- 1988 में जो बाइडन दो बार काफी बीमार हुए और उनके चेहरे की मसल्स कुछ समय के लिए लकवाग्रस्त हो गईं थीं। समाचार एजेंसी एपी को दिए इंटरव्यू में बाइडन के एक करीबी दोस्त टेड कॉफमैन ने कहा था, ‘मैं जितने भी लोगों को अभी तक निजी तौर पर जानता हूं, उनमें से वह सबसे बदनसीब है. और मेरे निजी तौर पर जानने वाले लोगों में वह सबसे खुशनसीब हैं।’