• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

4 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन का महीना, कांवड़ यात्रा से पहले जान लें इन जरुरी बातों को

Writer D by Writer D
30/06/2023
in फैशन/शैली, धर्म
0
Gorakhpur-Lucknow Highway

kanwar yatra

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

इस साल सावन का महीना 58 दिन का रहेगा। सावन मास 04 जुलाई से शुरू होगा और 31 अगस्त तक रहेगा। इतना लंबा सावन 19 साल बाद पड़ रहा है। गौरतलब है कि एक अतिरिक्त महीना, जिसे हिंदू अधिक मास या मल मास के नाम से जानते हैं। श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय महीना होता है। शिव भक्तों को इस महीने का खास इंतजार रहता है। इस दौरान की गई शिव आराधना से हर तरह के दोष खत्म होते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन हिन्दू वर्ष का पांचवा महीना है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करने वाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

ऐसी मान्यता भी है कि सावन के महीने में सृष्टि के संचालनकर्ता भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। ऐसे में संसार को चलाने की जिम्मेदारी शिवजी ले लेते हैं। इसलिए सावन महीने के देवता भगवान शिव कहे गए हैं। पूरे महीने भक्त शिवजी की पूजा करते हैं। इस दौरान महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, कुंवारी लड़कियां भी इस महीने में अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।

सावन के महीने में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra)  भी निकाली जाती है। कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तों को कांवड़िया कहा जाता है। कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त पवित्र गंगा नदी से जल भरकर लाते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव काफी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे हुई थी कांवड़ यात्रा की शुरुआत, महत्व और इसके नियम

कैसे हुई थी कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) की शुरुआत?

माना जाता है कि सबले पहले श्रवण कुमार ने त्रेता युग में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra)  की शुरुआत की थी। अपने दृष्टिहीन माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराते समय जब वह हिमाचल के ऊना में थे तब उनसे उनके माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा के बारे में बताया। उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए श्रवण कुमार ने उन्हें कांवड़ में बैठाया और हरिद्वार लाकर गंगा स्नान कराए। वहां से वह अपने साथ गंगाजल भी लाए। माना जाता है तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।

वहीं, यह भी माना जाता है कि कावड यात्रा (Kanwar Yatra) की शुरुआत समुद्र मंथन के समय हुई थी। मंथन से निकले विष को पीने की वजह से शिव जी का कंठ नीला पड़ गया था और तब से वह नीलकंठ कहलाए। इसी के साथ विष का बुरा असर भी शिव पर पड़ा। विष के प्रभाव को दूर करने के लिए शिवभक्त रावण ने तप किया। इसके बाद दशानन कांवड़ में जल भरकर लाया और पुरा महादेव में शिवजी का जलाभिषेक किया। इसके बाद शिव जी विष के प्रभाव से मुक्त हुए।

वहीं, यह भी माना जाता है कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से शरीर त्यागा था। उससे पहले उन्होंने महादेव को प्रत्येक जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अगले जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने सावन महीने में कठोर व्रत कर भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया था। तब से महादेव के लिए यह माह विशेष हो गया।

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra)  का महत्व

माना जाता है कि भगवान शिव को बड़ी आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। सिर्फ एक लोटा जल चढ़ाने से भगवान शिव खुश हो जाते हैं इसी के चलते हर साल शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) निकालते हैं।

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) के नियम

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) पर जाने वाले भक्तों को इस दौरान खास नियमों का पालन करना होता है। इस दौरान भक्तों को पैदल यात्रा करनी होती है। सात्विक भोजन का सेवन करना होता है। साथ ही आराम करते समय कांवड़ को जमीन पर नहीं बल्कि किसी पेड़ पर लटकाना होता है। अगर आप कांवड़ (Kanwar Yatra) को जमीन पर रखते हैं तो आपको दोबारा से गंगाजल भरकर फिर से यात्रा शुरू करनी पड़ती है। कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तों को नंगे पांव चलना होता है। स्नान के बाद ही कांवड़ (Kanwar Yatra)  को छुआ जाता है। बिना स्नान के कांवड़ को हाथ नहीं लगाया जाता।

Tags: how kanwar yatra startedkanwar yatra importancekanwar yatra ruleskanwar yatra significancesawan yatra 2023
Previous Post

बस स्टैंड में से आठ बसें धूं-धूंकर जल गयीं

Next Post

सावन में की गई ये गलतियां कर सकती है महादेव को नाराज, रखें इन बातों का ध्यान

Writer D

Writer D

Related Posts

chhath puja
धर्म

नहाय-खाय के दिन करें इन चीजों का दान, छठी मैया मिलेगा आशीर्वाद!

25/10/2025
chhath puja
Main Slider

छठ पूजा के दौरान ऐसे लोग रखें इन बातों का ध्यान, आस्था के साथ बनी रहेगी सेहत

25/10/2025
Chhath Puja
धर्म

छठ पूजा के दिन सूर्यदेव की पूजा करने का है बहुत महत्व, दूर हो जाएंगे कुंडली से ग्रह दोष

25/10/2025
Thekua
खाना-खजाना

छठ महापर्व पर अलग-अलग तरह के बनाएं ठेकुआ, सब करेंगे तारीफ

25/10/2025
Sindoor
Main Slider

सिंदूर लगाने के ये स्टाइलिश तरीके, आपकी खूबसूरती को और बढ़ा देंगे

25/10/2025
Next Post
Sawan

सावन में की गई ये गलतियां कर सकती है महादेव को नाराज, रखें इन बातों का ध्यान

यह भी पढ़ें

If you want health with taste, then try blue tea once

स्वाद के साथ अगर चाहिए सेहत, तो एक बार जरूर ट्राई करें नीली चाय

15/04/2021

लाहौल खंमीगर ग्लेशियर में फंसे 14 ट्रैकर, 2 की मौत

28/09/2021
राफेल Rafale

वायुसेना के बेड़े में जल्द शामिल होंगे तीन राफेल, भारत की बढ़ाएंगे ताकत

25/03/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version