नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा का आर्शीवाद पाने के लिए अखंड ज्याति प्रज्वलित करने का अपना एक खास महत्व है. नवरात्रि शुरू होने के पहले दिन ही कलश स्थापित होने के बाद इसे जलाई जाती है और अपने मन में देवी के प्रति समर्पण और भक्ति को दर्शाया जाता है. यह तन और मन में अंधकार को दूर करने का प्रतीक होता है. अखंड ज्योति को नवरात्रि में प्रज्वलित करने के अपने नियम होते हैं. यह पूरे नौ दिन बिना बुझे जलाए जाने का प्रावधान है. यह माना जाता है कि अगर यह पूरे 9 दिन प्रज्वलित रही तो पुण्य मिलता है और घर में सुख शांति और सम्पन्नता आती है. मां का आर्शीवाद पूरे परिवार को मिलता है. लेकिन अगर यह बुझ गया तो इसे अपशगुण माना जाता है.
क्या है मान्यता
मान्यता है कि अगर भक्त संकल्प लेकर नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित करे और उसे पूरी भावना और मन से जलाए रखे तो देवी प्रसन्न होती हैं और उसकी सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं. इस दीपक के सामने जप करने से हजार गुणा फल मिलता है.
अखंड ज्योति जलाने के नियम
-अखंड ज्योति को आप जमीन की बजाय किसी लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़े बिछाकर रखकर जलाएं.
-इस बात का ध्यान रखें कि ज्योति को रखने से पहले इसके नीचे अष्टदल बना हो.
-अखंड ज्योति को गंदे हाथों से बिल्कुल भी छूना नहीं चाहिए.
-अखंड ज्योति को कभी अकेले या पीठ दिखाकर नहीं जाना चाहिए.
-अखंड ज्योति जलाने के लिए शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल करना चाहिए. आप तिल का तेल या सरसों का तेल भी प्रयोग में ला सकते हैं.
-अगर आप घर में अखंड ज्योति की देखभाल नहीं कर सकते हैं तो आप किसी मंदिर में देसी घी अखंड ज्योति के लिए दान करें.
-अखंड ज्योति के लिए रूई की जगह कलावे का इस्तेमाल करना चाहिए. कलावे की लंबाई इतनी हो कि ज्योति नौ दिनों तक बिना बुझे जलती रहे.
-अखंड ज्योति जलाते समय मां दुर्गा, शिव और गणेश को ध्यान में रखें और ‘ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।‘ जप करें.
-अखंड ज्योति को देवी मां के दाईं ओर रखा जाना चाहिए. अगर दीपक में सरसों का तेल है तो देवी के बाईं ओर रखें.
-नवरात्रि समाप्त होने पर इसे स्वंय ही समाप्त होने दें कभी भी बुझाने का प्रयास ना करें.