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जानिए क्या है 7th Pay Commission Matrix, वेतनमान ऐसे होता है निर्धारित

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कीमत में कटौती

नई दिल्ली। आप अगर केंद्रीय कर्मचारी हैं तो आपकी निगाहें सातवें वेतन आयोग से जुड़ी खबरों पर लगी रहती होंगी। वहीं, निजी क्षेत्रों में काम करने वालों लोग भी अक्सर सातवें वेतन आयोग (7th CPC) के बारे में सुनते रहते होंगे। सातवें वेतन आयोग ने अपनी सिफारिशों में एंट्री लेवल के नवनियुक्त सरकारी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन को 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये कर दिया था। वहीं नव नियुक्त क्लास-वन अधिकारी के लिए न्यूनतम वेतन को 56,100 रुपये किया गया था। इसके अलावा आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के लिए अधिकतम वेतनमान को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये करने का प्रस्ताव भी रखा था।

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इस आयोग का गठन फरवरी, 2014 में हुआ था। इस आयोग का गठन सभी केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, रैक और पेंशन की सैद्धांतिक संरचना तैयार करने के लिए किया गया था। इसके बाद सातवें वेतन आयोग के सदस्यों ने सभी संबंधित पक्षों से मुलाकात की और उनकी मांगों को सुना। इनमें इंट्री लेवल कर्मचारियों के लिए वेतनमान निर्धारित करना, वर्तमान वेतनमान को और तर्कसंगत बनाना और वेतन संरचना को पारदर्शी बनाने जैसी मांगे शामिल थीं।

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सातवें वेतन आयोग ने ग्रेड पे स्ट्रक्चर से जुड़ी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए नए पे मैट्रिक्स की सिफारिश की। सातवें वेतन आयोग को लागू किए जाने के बाद केंद्रीय कर्मचारी का स्टेटस ग्रेड पे से नहीं बल्कि नए पे मैट्रिक्स से निर्धारित होता है। सातवें वेतन आयोग ने कई चीजों को ध्यान में रखते हुए नए ‘Pay Matrix’ की घोषणा की। इसके तहत ग्रेड पे को एक में समाहित कर दिया गया। कर्मचारी अब अपने वेतन के स्तर का पता लगा सकते हैं, साथ ही आने वाले समय में संभावित वृद्धि के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।

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