लाइफस्टाइल डेस्क। बॉलीवुड एक्टर रहे सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में कई दिनों से जांच चल रही है। इस बीच नए-नए दावे और नई-नई बातें निकलकर सामने आ रही हैं। हाल ही में मुंबई पुलिस ने डॉक्टरों के हवाले से यह बताया कि जांच में पता चला है कि सुशांत सिंह राजपूत को बाइपोलर डिसऑर्डर था। इसके लिए उनका इलाज भी चल रहा था और वो दवाइयां ले रहे थे। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर क्या है ये बाइपोलर डिसऑर्डर? क्या ये कोई गंभीर बीमारी है? आइए जानते हैं इसके बारे में और साथ ही इसके लक्षणों के बारे में भी और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है।
क्या होता है बाइपोलर डिसऑर्डर?
यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसे मैनिक डिप्रेशन भी कहते हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का मन लगातार कई हफ्तों तक या महीनों तक या तो बहुत उदास या फिर बहुत ही अधिक खुश रहता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह बीमारी लगभग 100 में से एक व्यक्ति को जीवन में कभी ना कभी होती ही है। वैसे तो इस बीमारी की शुरुआत अक्सर 14 साल से 19 साल के बीच होती है और 40 की उम्र तक इसके ज्यादा होने की संभावना होती है। 40 की उम्र के बाद बहुत कम ही इस बीमारी की शुरुआत होती है। ऐसा नहीं है कि यह बीमारी सिर्फ पुरुषों को ही होती है बल्कि यह पुरुष और महिलाएं दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है।
इस बीमारी के दो रूप हैं
बाइपोलर डिसऑर्डर डिप्रेशन और मैनिया का साझा रूप है। डिप्रेशन का मतलब है कि व्यक्ति पर निराशा हावी होने लगती है। उसे हर चीज में नकरात्मकता ही दिखती है और लगता है कि अब इस दुनिया में उसके लिए कुछ है ही नहीं। वही मैनिया में व्यक्ति के मन में ऊंचे-ऊंचे विचार आने लगते हैं। वह बड़ी-बड़ी बातें करने लगता है। वह खुद को किसी राजा-महाराजा से कम नहीं समझता।
इस बीमारी का कारण क्या है?
यह बीमारी मुख्य रूप से किस कारण से होती है, यह बता पाना तो मुश्किल है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक मानसिक तनाव इस बीमारी की शुरुआत कर सकता है और यह मानसिक तनाव किसी भी वजह से आ सकता है, जैसे कि ‘किसी शारीरिक रोग की वजह से’।
इस बीमारी के लक्षण क्या-क्या हैं?
अब जैसा कि ऊपर बताया गया है कि इस बीमारी के दो रूप होते हैं, डिप्रेशन और मैनिया। ऐसे में इसके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। डिप्रेशन में व्यक्ति के मन में अत्यधिक उदासी, निराशा, किसी काम में मन नहीं लगना, चिड़चिड़ापन, घबराहट, शरीर में ऊर्जा की कमी, अपने आप से नफरत, नींद की कमी और आत्मविश्वास की कमी लगातार बनी रहती है। वही मैनिया से ग्रसित मरीज का सबसे बड़ा लक्षण ये है कि वह अपने आपको बहुत बड़ा आदमी समझने लगता है यानी उसका वास्तविकता से संबंध ही टूट जाता है। ऐसे मरीज को बिना किसी वजह के कानों में आवाजें आने लगती हैं। साथ ही उसकी नींद और भूख भी कम हो जाती है।
इस बीमारी के क्या इलाज है?
बाइपोलर डिसऑर्डर के दौरान होने वाली बीमारियों (डिप्रेशन और मैनिया) को पूरी तरह ठीक तो नहीं किया जा सकता, लेकिन दवाओं को उन्हें नियंत्रण में जरूर रखा जा सकता है। और भी कई तरह सावधानियां हैं, जो ऐसे मरीजों के प्रति उनके परिवार को बरतनी जरूरी हैं। जैसे कि- मरीज के साथ हमेशा प्यारभरा व्यवहार करें। उसपर किसी भी काम के लिए ऐसा दबाव न बनाएं, जो गैरजरूरी हो। मरीज की नींद पूरी हो, इसका पूरा-पूरा ख्याल रखें। ऐसा नहीं करने पर यह बीमारी ठीक होने के बाद फिर से आ सकती है। इसलिए बेहतर है कि इन सावधानियों को बरतें और मरीज को किसी अच्छे डॉक्टर को जरूर दिखाएं।