लाइफ़स्टाइल डेस्क। आधुनिक लाइफस्टाइल की वजह से स्त्रियों को जो स्वास्थ्य समस्याएं सबसे ज्यादा परेशान कर रही है, एडेनोमायोसिस भी उनमें से एक है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों की भीतरी लाइनिंग यानी एंडोमीट्रियम के भीतरी हिस्से से संबंधित समस्या है। जब यहां मौज़ूद टिश्यूज़ का आकार बढ़ जाए, गर्भाशय के इस हिस्से सूजन या अधिक संकुचन जैसी समस्या हो तो ऐसी शारीरिक दशा एडेनोमायोसिस कहा जाता है।
आज अतिव्यस्तता की वजह से शहरों में रहने वाली ज्यादातर कामकाजी महिलाएं अपनी सेहत और खानपान पर ध्यान नहीं दे पातीं। और इन्हीं कारणों से आगे चलकर उन्हें यह स्वास्थ्य समस्या परेशान करने लगती है। दरअसल, तनाव की वजह से स्त्रियों के मस्तिष्क, पिट्यूटरी ग्लैंड और ओवेरी के बीच कम्युनिकेशन गड़बड़ा जाता है। तनाव के दौरान शरीर में मौज़ूद न्यूरोकेमिकल्स कई तरह के परिवर्तन होते हैं। स्त्रियों के शरीर में प्रोजेस्टेरॉन और एस्ट्रोजेन हॉर्मोन का असंतुलन भी इस समस्या के लिए जि़म्मेदार है। वज़न बढ़ाने वाली वसा युक्त चीज़ों, जैसे-चॉकलेट, मिठाइयां, ज़्यादा घी-तेल से बने खाद्य पदार्थ, केक-पेस्ट्री, जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक्स का अधिक मात्रा में सेवन भी इस समस्या के लिए जि़म्मेदार माना जाता है। एल्कोहॉल, सिगरेट और कैफीन जैसी चीज़ों का अधिक सेवन आदि को भी इस समस्या के लिए जि़म्मेदार माना जाता है।
इसके प्रमुख लक्षण
पेट के निचले हिस्से में तेज़ दर्द और ऐंठन, पीरियड्स के दौरान लंबे समय तक हेवी ब्लीडिंग और क्लॉटिंग, ओवल्युशन की अवधि में दर्द (आमतौर पर यह अवधि पीरियड के पांचवें से नौवें दिन के बीच होती है), यूरिन का प्रेशर न झेल पाना, सहवास में दर्द, तेज़ी से वज़न बढऩा, चेहरे पर अवांछित बाल और मुंहासे दिखाई देना, सहवास के दौरान तेज़ दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। हालांकि सभी स्त्रियों में इसके अलग-अलग लक्षण नज़र आते हैं। यह ज़रूरी नहीं है कि किसी एक स्त्री में यहां बताए गए सारे लक्षण दिखाई दें।
एडेनोमायोसिस से बचने के लिए अपने बढ़ते वज़न को नियंत्रित रखें। इसके लिए नियमित एक्सरसाइज़ और मॉर्निंग वॉक करें। खानपान की आदतों में बदलाव लाएं। रोज़ाना के भोजन में घी-तेल, मैदा, चीनी और नॉनवेज के इस्तेमाल से बचने की कोशिश करें। बेहतर यही होगा कि सादा और संतुलित खानपान अपनाएं। हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करें क्योंकि तनाव इस समस्या की प्रमुख वजह है। इसके बावज़ूद अगर पेट के निचले हिस्से में दर्द या हेवी ब्लीडिंग जैसे लक्षण दिखाई दें तो बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। जितनी जल्दी उपचार शुरू होगा, बीमारी की रोकथाम उतनी ही आसान होगी।