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जानें क्या है जलाभिषेक का सही समय, शुर्भ मुहूर्त एवं महत्व

धर्म डेस्क। सावन के दौरान आने वाली शिवरात्रि का महत्व बहुत ज्यादा होता है। भोले की भक्ति में डूबे भक्त इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और भोले को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। श्रावण मास की शिवरात्री आज है। शास्‍त्रों के अनुसार, अगर इस दिन भोले बाबा का अभिषेक किया जाए तो यह भक्तों के लिए फलदायी साबित होता है। यहां हम आपको सावन की शिवरात्रि के मुहूर्त और जल अभिषेक का सही समय की जानकारी दे रहे हैं।

शिवरात्रि का पूजा मुहुर्त:

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ और समाप्त: 18 जुलाई मध्यरात्रि 12:42 से 19 जुलाई मध्यरात्रि 12:10 तक

महानिशिथ काल पूजा: 19 जुलाई रात 11:33 से 12:10 तक।

पारण का समय: अगर किसी ने सोमवार का व्रत नहीं किया है तो वो 20 जुलाई की सुबह शिवजी का जलाभिषेक कर पारण करें।

जलाभिषेक का सही समय:

भोलोनाथ को शिवरात्रि पर जलाभिषेक का समय सुर्योदय से लेकर दोपहर 2 बजकर 45 तक का है। लेकिन अगर जलाभिषेक प्रदोष काल और रात्रि में महानिशिथ काल में किया जाए तो यह काफी फलदायी साबित होता है। जानकारी के अनुसार, आर्द्रा नक्षत्र और मिथुन लग्न के संयोग में सुबह 5:40 से 7:52 तक का समय उत्तम है। शाम में 7:28 से रात 9:30 मिनट तक प्रदोष कल में जलाभिषेक किया जा सकता है। इसके बाद से निशीथ और महानिशीथ काल आरंभ हो जाएगा।

इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए जाने का अलग ही महत्व होता है लेकिन इसके कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना बेहद आवश्यक है। बता दें कि बेलपत्र तोड़ने और चढ़ाने के तरीके निश्चित हैं। ऐसा कहा गया है कि कुछ तिथियों पर बेलपत्र को तोड़ना नहीं चाहिए। ये तिथियां चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रान्ति और सोमवार है। इन तिथियों पर बेलपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए। शिवलिंग पर चढ़ाए जाने के लिए एक दिन पहले बेलपत्र तोड़ा जा सकता है।

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