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जाने कब है देवशयनी एकादशी, इस दिन के बाद से रुक जाएंगे शुभ कार्य

Mokshada Ekadashi

Mokshada Ekadashi

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व होता है. हर महीने में दो बार एकादशी तिथि पड़ती है एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में. एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि -विधान के साथ पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) आती है. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं फिर 4 महीने के बाद देवोत्थान एकादशी के दिन उठते हैं. माना जाता है कि इन चार महीनों के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त. साथ ही जानते हैं शादी के कितने मुहूर्त अभी बचे हैं.

देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी रविवार, जुलाई 10, 2022 को

एकादशी तिथि प्रारम्भ – जुलाई 09, 2022 को शाम 04 बजकर 39 मिनट पर शुरू

एकादशी तिथि समाप्त – जुलाई 10, 2022 को शाम 02 बजकर 13 मिनट पर खत्म

पारण तिथि- 11 जुलाई 2022 सुबह 5 बजकर 56 मिनट से लेकर 8 बजकर 36 मिनट तक

देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) से पहले शादी के शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी से पहले 5, 6 और 8 जुलाई को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं. 8 जुलाई को भड़ली नवमी है, शादी के लिए यह मुहूर्त काफी शुभ माना जाता है.

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सनातन धर्म में देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा इस एकादशी को हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. यह एकादशी दो नामों ‘देव’ और ‘शयन’ से मिलकर बनी है. देव शब्द का अर्थ है भगवान विष्णु और शयन का अर्थ है सोना. मान्यताओं के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं.

देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) मंत्र

‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्.

विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्..

अर्थ-  हे जगन्नाथ जी! आपके निद्रित हो जाने पर संपूर्ण विश्व निद्रित हो जाता है और आपके जाग जाने पर संपूर्ण विश्व तथा चराचर भी जाग्रत हो जाते हैं.

देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद पूजा वाली जगह की अच्छी तरह से सफाई कर लें.  इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला प्रसाद और पीला चंदन अर्पित करें.  इसके बाद भगवान विष्णु को पान, सुपारी चढ़ाएं. फिर भगवान विष्णु के आगे दीप जलाएं और पूजा करें.  देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के इस मंत्र ‘‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्. विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्..” का जाप करें. देवशयनी एकादशी के दिन पहले भगवान विष्णु को शयन कराएं उसके बाद ही खुद सोएं.

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