धर्म डेस्क। हिंदू त्योहारों में से दिवाली का पर्व बहुत ही खास है। यह त्योहार पूरे 5 दिन का होता है। इस त्यौहार का संबंध भगवान राम के लंका विजय के बाद घर लौटने से जुड़ा है। जब रावण का वध करने के बाद भगवान राम अधोध्या लौटे थे तो अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। दिवाली का संबंध लक्ष्मी और कुबेर पूजा से भी है। पंच महोत्सव रूपी इस पांच दिनों के त्योहार की शुरूआत धनतेरस के साथ होती है और अंत भैयादूज के साथ होता है। इसके बीच में नरक चतुर्थी, गोवर्धन पूजा जैसे पर्व आते है। इन सब में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण दिन दीपावली का दिन माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। लेकिन इस साल मलमास होने के कारण दिवाली में एक माह का विलंब हुआ। इसके साथ ही इस साल अमावस्या दो दिन पड़ रही है। जिसके चलते लोगों के बीत असमंजस है कि आखिर किस दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा।
कब है दिवाली?
आपको बता दें कि इस साल 14 और 15 नवंबर को अमावस्या पड़ रही है। जहां 14 नवंबर को दिन में 2 बजकर 18 मिनट से शुरू होतर 15 नवंबर को 10 बजकर 37 मिनट तक रहेगी।
ब्रह्म पुराण के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि की मध्यरात्रि को मां लक्ष्मी पृथ्वी में आती हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद देती है। यानी जिस दिन प्रदोष काल में मध्यरात्रि अमावस्या के साथ निशीथ काल है। उस दिन ही दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। इसलिए 14 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी।
लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 14 नवंबर शाम 6 बजकर 1 मिनट से 8 बजकर 4 मिट तक
- प्रदोष काल- शाम 5 बजकर 55 मिनट से 8 बजकर 25 मिनट तक।
- वृषभ काल- शाम 6 बजकर 1 मिनट से 8 बजकर 4 मिनट तक।