सभी वेदों की माता कही जाने वाली गायत्री माता की उत्पत्ति ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हुई थी. इस दिन गायत्री जयंती (Gayatri Jayanti) मनाई जाती है. इस तिथि को निर्जला एकादशी व्रत भी रखा जाता है. गायत्री गंगा दशहरा के अगले दिन मनाते हैं, हालांकि कुछ स्थानों पर सावन माह की पूर्णिमा तिथि को गायत्री जयंती मनाते हैं. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं गायत्री जयंती की तिथि, पूजा मुहूर्त आदि के बारे में.
गायत्री जयंती 2022 (Gayatri Jayanti) तिथि
पंचांग के अनुसार, 10 जून दिन शुक्रवार को सुबह 07 बजकर 25 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ हो रहा है. इस तिथि की समापन अगले दिन 11 जून शनिवार को प्रात: 05 बजकर 45 मिनट पर होना है. उदयातिथि के आधार पर गायत्री जयंती 11 जून शनिवार का मनाई जाएगी.
गायत्री जयंती (Gayatri Jayanti) पर सर्वार्थ सिद्धि योग
गायत्री जयंती के अवसर पर सर्वार्थ सिद्धि योग 11 जून को प्रात: 05 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ हो जा रहा है, जो 12 जून को 02:05 एएम तक रहेगा. 12 जून को त्रिपुष्कर योग 02:05 एएम से प्रारंभ होकर 03:23 एएम तक रहेगा.
गायत्री जयंती के दिन परिघ योग रात 08 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से शिव योग प्रारंभ हो जाएगा. इस सभी योगों में सर्वार्थ सिद्धि योग आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उत्तम है. इस योग में किए गए कार्य सफलता प्रदान करने वाले होते हैं.
गायत्री जयंती के दिन का शुभ समय यानी अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक है. इस समय में आप कोई भी नया कार्य कर सकते हैं.
गायत्री जयंती का महत्व
गायत्री माता चारों वेदों की जननी हैं. गायत्री मंत्र को चारों वेदों का सार माना जाता है. प्रारंभ में गायत्री मंत्र कुछ देवी देवताओं तक ही सीमित था. बाद में वशिष्ठ ऋषि ने कठोर तप करके इस मंत्र को प्राप्त किया और उसे जन जन तक पहुंचाया, जिससे मनुष्यों को भी इस गायत्री मंत्र से लाभ हो सके. मां गायत्री की कृपा से व्यक्ति को आयु, शक्ति, प्राण, कीर्ति, धन आदि की प्राप्ति होती है.
गायत्री मंत्र
ओम भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्.