सनातन धर्म में परिवार की सलामती के लिए व्रत उपवास रखने की परंपरा बहुत पुरानी है। महिलाएं अपने पुत्रों की लंबी आयु और पुत्र रत्न की मनोकामना पूर्ण होने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) और जितिया पर्व के नाम से भी जाना जाता है।
जितिया व्रत नहाय खाय से शुरू होकर सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक चलता है। जितिया व्रत मान्यता अनुसार मां पुत्र प्राप्ति या पुत्री की लंबी आयु के लिए रखती हैं। यह निर्जला व्रत होता है जिसमें जल भी नहीं पिया जाता है। जितिया (Jivitputrika) व्रत इस साल अक्टूबर के पहले हफ्ते में रखा जाएगा । जानें इस व्रत की पूजा कैसे करते हैं।
इस साल जितिया व्रत 6 अक्टूबर 2023 को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से नवमी तिथि तक रखा जाता है। इस व्रत का पारण अगले दिन 7 अक्टूबर, सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर किया जाता है।
व्रत के नियम के अनुसार,में महिलाओं को एक दिन पहले से तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांसाहार का सेवन नहीं करना होता है। यह एक कठिन व्रत है। महिलाएं 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं।
इस दिन भगवान जीमूतवाहन (jimutvahan)की पूजा की जाती है. कुशा से बनी जीमूतवाहन भगवान की प्रतिमा के समक्ष धूप-दीप, चावल और पुष्ण अर्पित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त, व्रत में गाय के गोबर और मिट्टी से चील और सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है। पूजा करते हुए इनके माथे पर सिंदूर से टीका लगाते हैं और पूजा समाप्त होने के बाद जितिया व्रत की कथा (Jitiya Vrat Katha) सुनी जाती है।