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जानें क्या वृन्दावन में आज भी आते हैं श्री कृष्ण

धर्म डेस्क। 12 अगस्त 2020 बुधवार के दिन मनाई जाने वाली है जन्माष्टमी। हर साल यह त्यौहार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से श्री के जन्म के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो श्री कृष्ण के बचपन से जुड़ी विभिन्न कथाएं बहुत प्रचलित है। परन्तु क्या आप जानते है की आज भी धरती पर ऐसा एक स्थान है जहां श्री कृष्ण आते है? वह स्थान है वृन्दावन नगरी का निधिवन। यह स्थान जितना ही सुन्दर एवं आकर्षक है उतना ही रहस्य्मयी भी है। इस स्थान का कण-कण श्री कृष्ण के होने का आभास समय-समय पर लोगों को कराता आया है।

मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण एवं राधा रानी आज भी यहां रासलीला करने आधी रात को आते हैं। लोगों का मानना है की वह रास रचकर वहीं स्थित रंग महल में आराम करते हैं। इस महल के आस-पास स्थित बेल रात्रि पहर में गोपियों का रूप धारण करती हैं एवं श्री कृष्णा और राधा रानी के साथ नृत्य करती हैं। इन मान्यताओं के कारण ही यह स्थान शाम को जल्दी बंद कर दिया जाता और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं होती है। न केवल मनुष्य बल्कि यहां घूमने वाले पशु-पक्षी भी शाम होते ही वहां से चले जाते हैं। भक्तों द्वारा यहां शृंगार का सामान एवं भोग चढ़ाया जाता है जो की अगली सुबह बिखरा मिलता है। श्री कृष्ण एवं राधा रानी के लिए महल में विशेष इंतजाम किए जाते हैं, कहा जाता है की उनके आराम के लिए लगाया पलंक सुबह देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मानों कोई पिछली रात वहां सोया हो।

इस स्थान पर किसी भी मनुष्य का रास के समय होना वर्जित है। शाम होते ही आरती के बाद पट बंद कर दिए जाते हैं और सुबह तक सब बंद ही रहता है। ऐसी बहुत सी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें जिस किसी ने भी श्री कृष्ण का रास देखने की कोशिश की वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा है। इस स्थान से जुड़ी एक और विशेष मान्यता ये है कि यहां स्थित सभी पौधे जोड़े में लगे हुए हैं एवं पेड़ की शाखाएं भी एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। कोई भी इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान ले जा नहीं सकता है। आज तक जिस किसी ने भी कोशिश की वह किसी न किसी आपदा का शिकार हुआ है। कहा जाता है की यहां स्थित बांके-बिहारी जी के मंदिर में श्री कृष्ण का अभिषेक एवं भोग कराने से भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती है। अगर आप भी इस कृष्ण जन्माष्टमी पर वृन्दावन के बांके बिहारी जी का अभिषेक एवं 56 भोग पूजन करवाना चाहते हैं आपके लिए एक खास पूजा। यह पूजा वृन्दावन के प्रतिष्ठित पुजारियों द्वारा कराई जाएगी, पूजा के पहले फोन पर आपका संकल्प भी लिया जाएगा।

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