नई दिल्ली। हाथ धोने का महत्व आज ज्यादातर लोग समझ चुके हैं। जो लोग अब भी गंदे हाथों से खाना-पीना करते हैं, उनके लिए 1 से 7 दिसंबर तक हैंडवॉशिंग अवेयरनेस वीक यानी हाथ धो कर साफ रखने के लिए जागरुकता सप्ताह मनाया जा रहा है। ठंड के मौसम में इस तरह की सफाई का ख्याल रखना और जरूरी हो जाता है, क्योंकि ठंडे पानी से हर कोई दूर रहना चाहता है। कई लोग यह दलील देते हैं कि गर्म पानी से हाथ धोना फायदेमंद होता है और इससे बैक्टीरिया ज्यादा मरते हैं। लेकिन क्या यह बात सच है? ताजा वैज्ञानिक अध्ययन में इस बात का जवाब दिया गया है कि क्या गर्म पानी और ठंडे पानी से हाथ धोने में कोई फर्क है?
जर्नल ऑफ फूड प्रोटेक्शन में प्रकाशित ताजा रिसर्च के अनुसार, हाथ गर्म पानी से धोए जाएं या ठंडे से, कोई फर्क नहीं पड़ता है। खतरनाक बैक्टीरिया का सफाया करने में दोनों समान रूप से कारगर हैं। इतना जरूर है कि गर्म पानी में साबुन अच्छी तरह पिघल जाता है। इससे भी कई लोगों को लगता है कि गर्म पानी ज्यादा आसानी से बैक्टीरिया मारता है, लेकिन अब यह बात गलत साबित हुई है।
अध्ययन में पाया गया कि पानी के तापमान का बैक्टीरिया को कम करने पर महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ा। चाहे यह 38 डिग्री सेल्सियस या 16 डिग्री सेल्सियस था, शोधकर्ताओं ने बैक्टीरिया में कमी में कोई अंतर नहीं पाया। इसके अलावा, अध्ययन से पता चला कि कीटाणुओं को दूर करने के लिए 10 सेकंड तक हाथ धोना काफी प्रभावी होता है।
ठंड में बरतें यह सावधानी-
ठंड में कई लोगों को सुखी त्वचा की समस्या से जूझना पड़ता है, खासतौर पर ऐसा हाथों में अधिक होता है। अक्सर साबुन में पाए जाने वाले रसायन हाथों की त्वचा को ड्राय बना देते हैं। ऐसे लोगों को साबुन से हाथ धोने से बचना चाहिए। जो लोग पानी के संपर्क में बहुत समय बिताते हैं, उन्हें रबर के दास्ताने पहनकर काम करना चाहिए। लंबे समय तक पानी के संपर्क में रहने से हाथ ड्राय हो सकते हैं क्योंकि यह त्वचा में मौजूद प्राकृतिक ऑयल को धो देता है।
पानी का काम नहीं कर सकता हैंड सैनिटाइजर-
हैंड सैनिटाइजर का उपयोग हाथ साफ करने के लिए किया जाता है, लेकिन साबुन से हाथ धोने से अच्छा कुछ भी नहीं है। इससे ही हमारे हाथों पर जमे कीटाणु 100 फीसदी तक खत्म हो सकते हैं। इसलिए हैंड सैनिटाइजर का उपयोग वहीं करना चाहिए, वहां पानी से हाथ धोने की सुविधा नहीं है।
हैंड सैनिटाइजर खरीदते समय ध्यान रखें कि कहीं उसमें ट्राइक्लोसेन या थाइलेड्स कैमिकल तो नहीं हैं। ये दोनों कैमिकल हानिकारक होते हैं। खासतौर पर थाइलेड्स त्वचा के जरिए ब्लड में जा सकता है और बहुत नुकसान पहुंचा सकता है।