पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार बनने पर परशुराम की भव्य मूर्ति बनवाने की बात की है। मायावती का ये वादा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के तुरंत बाद आया है, जिसमें उन्होंने परशुराम की 108 फीट ऊंची मूर्ति लगवाने का वादा किया है। माना जा रहा है कि परशुराम को लेकर ये वादा ब्राह्मण वोटरों को लुभाने के लिए किया जा रहा है।
परशुराम त्रेता काल में एक ऋषि जमदग्नि के यहां जन्मे थे। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है। यही वजह है कि उन्हें समय-समय पर भगवान परशुराम के नाम से भी संबोधित किया गया। वैसे हाथों में हमेशा एक अस्त्र परशु रखने के कारण भी उन्हें परशुराम नाम दिया गया। ये कुल्हाड़ी से मिलता-जुलता हथियार है, जिसे हिंदी में फरसा भी कहा जाता है।
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भगवान परशुराम को दूसरे ऋषियों की तुलना में उनके गुस्से के लिए जाना जाता है। इसके पीछे भी कई मान्यताएं हैं, जिनका जिक्र रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण जैसे कई ग्रंथों में मिलता है। परशुराम अपनी मां से बहुत प्रेम करते थे लेकिन पिता की आज्ञा पर एक बार उन्होंने मां का तक वध कर दिया था।
वैसे परशुराम को सबसे ज्यादा जिस बात के लिए याद किया जाता है, वो है क्षत्रियों के संहार के लिए। माना जाता है कि उन्होंने 21 बार एक खास वंश के क्षत्रियों को खत्म कर दिया था। इसकी शुरुआत सहस्रार्जुन नाम के राजा से हुई थी।
इसी बीच परशुराम ने क्षत्रियों को कभी शिक्षा न देने का संकल्प भी लिया था। माना जाता है कि वे धरती पर सभी तरह के अस्त्र-शस्त्रों के सबसे बड़े जानकार थे और उनके सामने देवलोक के देवता भी नहीं टिक सकते थे।
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उनके इसी ज्ञान के कारण कर्ण उनसे शिक्षा लेने आए। तब कर्ण ने खुद को सूतपुत्र बताया था क्योंकि वे यही जानते भी थे। परशुराम ने उन्हें शस्त्र विद्या देना शुरू कर दिया, तभी एक घटना से उन्हें यकीन हो गया कि कर्ण भी एक क्षत्रिय है। इसपर भड़के हुए परशुराम ने उन्हें शाप दे दिया कि सबसे जरूरी समय आने पर कर्ण अपनी विद्या भूल जाएंगे और मारे जाएंगे।
इतिहास में परशुराम के अनेक कार्यो से जाने जाते है यह बहुत ही विद्वान माने जाते थे। अपने गुस्से की वजह से भी जाने जाते है। आज भी इन्हे लोग भलीभती जाते है। आज इनकी मूर्ति को लेकर राजनीतिक पार्टी अपना पल्ले को बढ़ा रही है।