अयोध्या। श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन की तारीख पांच अगस्त निकट आने के साथ इस महानुष्ठान की रूपरेखा स्पष्ट होती जा रही है। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस महानुष्ठान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दो सौ चुनिंदा लोगों के ही शामिल होने की संभावना है। प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के लोग इस सूची को गंभीर सोच-विचार के बाद अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। दो सौ लोगों की सूची चार श्रेणियों में विभाजित है। इन्हीं चार में से एक श्रेणी देश की विभूतियों की है। इसमें कला, साहित्य, संस्कृति और औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े शीर्ष लोग शामिल हैं। इसी श्रेणी में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी शामिल हैं।
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अयोध्या में बहुप्रतीक्षित श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के अवसर पर मुकेश अंबानी और गौतम अडानी जैसे शीर्षस्थ उद्योगपतियों की मौजूदगी यह संकेत देने वाली है कि न केवल प्रस्तावित मंदिर के बल्कि संपूर्ण रामनगरी के निर्माण में उद्योगजगत की भूमिका कितनी अहम होगी। बहरहाल, आमंत्रित लोगों की तीन अन्य श्रेणियों में विश्व हिंदू परिषद एवं संघ के पदाधिकारियों तथा मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे अग्रणी नेता, स्थानीय संत-महंत, समाजसेवी और केंद्रीय मंत्री, राजनीतिज्ञ, जन प्रतिनिधि एवं शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे।
तीन नंबर गेट से भूमि पूजन को जाएंगे वीवीआईपी : राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए मंदिर परिसर में वीवीआईपी को ले जाने का रूट लगभग तय हो चुका है। यह गेट नंबर तीन का मार्ग होगा। करीब 650 मीटर लंबा यह मार्ग बनकर तैयार है। केंद्र सरकार ने सुरक्षा के लिहाज से नए मार्ग के लिए करीब 1.17 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए थे। मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि कार्यशाला में तराशे गए पत्थर भी इसी मार्ग से जाने हैं।
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प्रधानमंत्री 32 सेकेंड की अल्प अवधि में रखेंगे आधारशिला : श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भूमि पूजन की तारीख तय करने से पूर्व ही भूमि पूजन के शुभ मुहूर्त की ओर पूरा ध्यान दिया। ट्रस्ट के ही अनुरोध पर काशी के प्रख्यात विद्वान पं. गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने विद्वानों से मंत्रणा के बाद भूमिपूजन का मुहूर्त पांच अगस्त को मध्याह्न 12 बजकर 15 मिनट और 15 सेकेंड से अगले 32 सेकेंड के लिए सुनिश्चित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र इसी 32 सेकेंड की अवधि में राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे। आधारशिला स्थापन में भी शास्त्रीयता का पूरा ध्यान रखा गया है। रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास के अनुसार नंदा, जया, भद्रा, रिक्ता एवं पूर्णा के रूप में पांच शिलाओं का पूजन किया जाएगा और उन्हें मंदिर की नींव में स्थापित किया जाएगा।