धर्म डेस्क। गणेश जी का स्वरुप सबसे अलग है, लेकिन उनका यही स्वरुप बहुत मनमोहक लगता है। वे मूषक की सवारी करते हैं इसलिए उन्हें मूषकराज कहा जाता है। उनका मुख गज का है जिसके कारण उन्हें गजानन भी कहा जाता है। गणेश जी के स्वरुपों में आपने देखा होगा कि गणेश जी का एक दांत टूटा हुआ है, जिसके कारण उन्हें एकदंत भी कहा जाता है। उनकी आरती में भी उन्हें एक दंत दयावंत कहकर पुकारा जाता है। आइए जानते हैं पूरी कथा कि किस कारण टूटा गणेश जी का दांत जिसके कारण उनका मान एकदंत पड़ा।
कथा के अनुसार एक बार की बात है कि विष्णु अवतार परशुराम शिव जी के दर्शन करने कैलाश पर गए परंतु उस समय शिव जी ध्यान में लीन थे। इस वजह से गणेश जी ने परशुराम को भीतर जानें से रोक दिया। परशुराम ने आग्रह किया कि उन्हें अंदर जाने दें। लेकिन गणेश जी नहीं मानें, और उन्हें अंदर जानें की अनुमति नहीं दी। इस कारण परशुराम जी को क्रोध आ गया। दोनों में युद्ध होने लगा, तभी परशुराम का फरसा गणेश जी के दांत पर लग गया। फरसे के प्रहार से उनका एक दांत टूट गया। तभी से उन्हें एकदंत कहा जाने लगा। इस संबंध में एक और कथा मिलती है।
गजमुखासुर नाम का एक राक्षस था। उसे वरदान प्राप्त था कि वह किसी अस्त्र-शस्त्र से नहीं मारा जा सकता। जिसके कारण वह देवताओं और ऋषि-मुनियों को परेशान करने लगा। लेकिन वरदान मिले होने के कारण किसी को भी समझ नहीं आ रहा था कि गजमुखासुर का अंत कैसे किया जाए, जब यह बात गणेश जी को बताई गई तो उन्होंने राक्षस का वध करने के लिए अपने दांत तोड़ दिया।. और उसी दांत के प्रयोग से राक्षस का अंत कर दिया। कहते हैं कि तभी से गणेश जी का एक दांत टूटा हुआ है।