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जानें श्रीराम के दर्शन से पहले हनुमानजी की आज्ञा क्यों है जरूरी?

हनुमानगढ़ी

हनुमानगढ़ी

धर्म डेस्क। अब से थोड़ी ही देर प्रधानमंत्री के हाथों से राम मंदिर भूमि पूजन और मंदिर का शिलान्यास होगा। प्रधानमंत्री भूमि पूजन करने से पहले अयोध्या के राजा हनुमानजी के दर्शन और उनकी आज्ञा लेंगे। मान्यता है कि अयोध्या में भगवान राम के दर्शन करने से पहले उनके सबसे प्रिय भक्त हनुमानजी के दर्शन और उनकी आज्ञा लेना जरूरी है।

हनुमानगढ़ी में बजरंगबली का स्वरूप

हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या का प्रमुख मंदिर है। यहां भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमानजी का वास है। इस मंदिर में बाल हनुमानजी की प्रतिमा है जोकि 6 इंच की है। हनुमागढ़ी का मंदिर एक टीले पर बसा है। बाल हनुमानजी के दर्शन के लिए करीब 76 सीढि़या चढ़नी पड़ती है। हनुमान के साथ उनकी माता अंजनी भी है। जो मंदिर परिसर में मां अंजनी की गोद में हैं। मंदिर के चारों तरफ की दीवारों में हनुमान चालीसा की चौपाइया लिखी हुई हैं।

भगवान राम ने अपने भक्त हनुमान को दिया ये अधिकार

मान्यता है कि प्रभु राम ने हनुमानगढ़ी में राजा के रूप में विराजमान हनुमान जी का राजतिलक किया था। हनुमानजी एक गुफा में निवास कर रामजन्मभूमि और अयोध्या की रक्षा करते हैं। हनुमानजी की सेवा और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान राम ने कहा कि जो भी भक्त अयोध्या में मेरे दर्शन के लिए आएगा उसे सबसे पहले हनुमान के दर्शन, पूजा और अनुमति लेनी होगी। हनुमानजी से अनुमति लिए बिना और पूजा किए राम के दर्शन और पूजन का लाभ नहीं मिलता। रामचरित मानस के सुंदरकांड में बताया गया है कि भगवान राम हनुमान को अपना सबसे प्रिय भक्त मानते है। इसी कारण से भगवान राम के दर्शन करने और उनकी कृपा पाने के लिए सबसे पहले उनके अनन्य भक्त बजरंगबली को प्रसन्न और आज्ञा लेनी पड़ती है। इसी कारण से रामलला के दर्शन से पहले हनुमानगढ़ी जाकर हनुमान जी पूजा और दर्शन के बाद ही राम के दर्शन करने की परंपरा है।

अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर की नगरी बताया है। लंका विजय और रावण का अंत करने के बाद भगवान राम जब अयोध्या लौटे तो हनुमान जी ने यहां रहना शुरू किया। इसी कारण इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट पड़ा। यहीं से हनुमान जी रामकोट की रक्षा करते थे। प्रभु राम ने हनुमानगढ़ी में राजा के रूप में विराजमान हनुमान जी का राजतिलक किया था। इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था। बाद में नवाब वाजिद अली शाह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था।

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