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कुशीनगर : प्रधानमंत्री आवास योजना प्लस एप से 44 हजार आवंटियों के नाम गायब

प्रधानमंत्री आवास योजना

प्रधानमंत्री आवास योजना

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में आवास प्लस एप पर जिन 94 हजार लोगों का विवरण प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए भेजा गया था, उनमें से करीब 44 हजार नाम स्वत: ही गायब हो गए हैं।

इन गायब नामों की तलाश के लिए विभाग के जिला स्तर व प्रदेश शासन स्तर पर प्रयास किया गया। सांसद विजय कुमार दूबे ने इस पूरे प्रकरण को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से अवगत कराते हुए गायब नामों की सूची वापस कराने की मांग की है।

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सूत्रों ने बताया कि जिले में आवास योजना के लिए जो सूची बनी थी, उस आधार पर 2018 तक लोगों को आवास आवंटित हो गए। इसके बाद भी बड़ी संख्या में लोग आवास नहीं मिलने की शिकायत करते हुए हर दिन अफसरों व जन प्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे थे। मामला केन्द्र सरकार तक पहुंचा तो पिछले वर्ष अभी तक आवास योजना से वंचित वास्तविक पात्रों का चयन करने के लिए मोबाइल एप आवास प्लस का उपयोग किया गया। जीपीएस तकनीकी वाले इस एप के जरिए ग्राम पंचायत सचिवों को अपने गांव के आवास से वंचित ऐसे परिवार जो झोपड़ी में गुजर-बसर कर रहे हैं, उनकी मौके से वास्तविक तस्वीर इस एप पर लोड करनी थी।

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उन्होने बताया कि जीपीएस मैपिंग के चलते यह एप वास्तविक लाभार्थी के विषय में पूरा विवरण अपडेट कर रहा था। ग्राम्य विकास विभाग के परियोजना निदेशक संजय कुमार पांडेय के अनुसार ऐसे एप के जरिए कुशीनगर जिले से 94,154 लोगों का डॉटा नेशनल पोर्टल को भेजा गया था। करीब तीन महीना पहले इन सभी लाभार्थियों का आधार कार्ड नंबर व सहमति पत्र मांगा गया। इसे अपलोड करने के बाद पोर्टल पर केवल 49,712 नाम ही प्रदर्शित हो रहे हैं। अब अगली कार्ययोजना के लिए इन्हीं 49,712 को आधार मानकर कार्रवाई हो रही है।

परियोजना निदेशक ने बताया कि इस समस्या से विभागीय उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। इसके लिए ग्राम्य विकास आयुक्त ने अपने स्तर से भारत सरकार को भी पत्र भेजा है। उम्मीद है कि जल्द ही यह डॉटा वापस मिल जाएगा।

इसी को लेकर कुशीनगर के भाजपा सांसद विजय कुमार दूबे ने केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर अवगत कराया। सांसद ने केंद्रीय मंत्री को एक पत्र भी दिया है, जिसमें प्रकरण का जिक्र करते हुए बताया है कि अगर यह डॉटा नहीं मिला तो जिले की बड़ी आबादी आवास योजना का लाभ पाने से वंचित रह जाएगी। इससे विकास कार्यक्रमों को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के केंद्र सरकार के प्रयासों को झटका लगेगा।

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