भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने राज्य सरकार के वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विधानसभा में पेश किए गए वार्षिक बजट को नीरस बताया है। उन्होंने कहा कि इसमें दूरदृष्टि और संवेदनशीलता की कमी स्पष्ट दिख रही है।
श्री सिंह ने कल पेश किए गए बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सरकार पर कर्ज का काफी बोझ है। राम वनगमनपथ के विकास का कोई उल्लेख नहीं है। सरकार बनने के बाद भाजपा भगवान राम को भूल गयी। कर्मचारियों और खासकर साढ़े चार लाख पेंशनर्स के कोरोना काल में रोके गए मंहगाई भत्ते के भुगतान का कोई प्रावधान नहीं है। बेरोजगारों को फिर से हजारों नौकरियों के सपने दिखाए गए हैं। बजट में कहा गया है कि ये नौकरियां शिक्षा और पुलिस विभाग में दी जाएंगी, जबकि हर विभाग में हजारों पद खाली हैं।
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पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि व्यापम की शिक्षक परीक्षा पास बेरोजगार युवकों और संविदा शिक्षकों को तो अभी तक नियुक्ति नहीं दी गई और शिक्षकों की नई भर्ती का ऐलान कर दिया। यह घोषणाएं विरोधाभासी हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना योद्धाओं को दस दस हजार रुपए प्रोत्साहन राशि देने की ऊंची ऊंची घोषणाएँ की गई थी, लेकिन बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा सस्ती और मुफ्त बिजली योजनाओं की सब्सिडी 13 हजार करोड़ रुपए का भुगतान सरकार ने अभी तक नहीं किया है। इस कारण बिजली कंपनियों ने घाटा बताकर बिजली के रेट बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। पेट्रोल, डीजल पर वेट नहीं घटाया गया है। मध्यप्रदेश में मकान, जमीन की रजिस्ट्री शुल्क पूरे देश में सबसे ज्यादा है। इसे भी नही घटाया गया है जिससे रियल स्टेट में निराशा है।
श्री सिंह ने कहा कि जनता को लुभाने के लिए 460 नई सड़कें, 65 पुल और 105 आरओबी निर्माण के सपने तो दिखाये गए हैं, लेकिन हरेक के लिए एक एक हजार रुपए का टोकन बजट रखा गया है। इसी तरह स्वरोजगार में सब्सिडी का बजट बहुत कम रखा गया है।