उत्तर प्रदेश में जौनपुर के महिला थाना की प्रभारी दरोगा तारावती एक ऐसी महिला है जिनके हवाले है पूरा महिला थाना । दिन हो या रात जब भी कोई वारदात होती है तारावती वहां फौरन पहुंच जाती हैं और तब तक दम नहीं लेती जब तक मुजरिम सलाखों के पीछे न पहुंच जाए । जौनपुर के अपराधी उनके नाम से कांपते हैं ।
फर्ज की राह पर चलते हुए पति रामराज यादव सीने पर गोली खाकर शहीद हो गए। पीछे छोड़ गए दो मासूम बच्चे और एक मजबूर पत्नी जिसके नाजुक कंधे पर थी पूरे परिवार की जिम्मेदारी। पर तारावती ने जिस तरह चुनौतियों के पहाड़ को पस्त किया उस पर पूरे पुलिस महकमे को नाज है।
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तारावती के थानाध्यक्ष बनने के बाद जौनपुर के किसी इलाके में न सिर्फ क्राइम कम हुआ है बल्कि आम लोग भी अब खुद को ज्यादा सुरक्षित मानने लगे हैं। खासकर महिलाओं के मन में तारावती को लेकर इतना ज्यादा भरोसा है कि वो कभी भी किसी भी वक्त बेहिचक अपनी शिकायत लेकर तारावती यादव के पास पहुंच जाती हैं।
तारावती कैसे बनी लेडी सिंघम इसे जानकर हैरानी होगी1 जिस लेडी सबइंस्पेक्टर के नाम से ही अपराधियों में दहशत फैल जाती है। उसकी जिंदगी महज कुछ साल पहले तक घर की चारदीवारी के बीच सिमटी हुई थी । पति और बच्चों की देखभाल करना ही उसकी दिनचर्या थी।
पुलिस की वर्दी तो दूर वो कानून के जाल से भी पूरी तरह अनजान थी पर एक दिन उसकी जिंदगी में ऐसा भूचाल आया जिसने उसके सारे अरमान तहस नहस कर डाले । 16 सितंबर 2006 की तारीख तारावती के जहन में आज भी ताजा है, आज जो वर्दी तारावती की सबसे बड़ी पहचान है । चौदह साल पहले तक यही वर्दी उनके पति रामराज यादव की सबसे बड़ी शान थी, लेकिन एक खूनी वारदात ने तारावती की दुनिया हमेशा के लिए वीरान कर दी। तब रामराज यादव फर्रुखाबाद में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थे। खबर मिली कि कुख्यात कलुआ गिरोह के अपराधी उनके इलाके में घूम रहे हैं । रामराज बिना वक्त गंवाए फौरन गुंडों से मुकाबला करने मौके पर पहुंच गए लेकिन मुठभेड़ के दौरान वो अपराधियों की गोली का निशाना बन कर शहीद हो गए ।
जौनपुर के पुलिस अधीक्षक राजकरन नय्यर ने आज बुधवार को महिला थाने की थानाध्यक्ष उप निरीक्षक तारावती यादव को 3 स्टार लगाकर निरीक्षक का दर्जा प्रदान किया ।