देश-दुनिया में इंसानी ज़िंदगी के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बने कोरोना वायरस को मात देकर स्वस्थ होने वालों की वैसे तो कोई कमी नही है, मगर जब फेफड़ों में संक्रमण 90 प्रतिशत हो तो मौत से लड़ाई जीतना न केवल मरीज़ बल्कि ईलाज कर रहे डॉक्टर के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं होता है। मगर होंसला और डॉक्टर, मरीज़ का एक दूसरे पर भरोसा हो तो ये मुश्किल भी आसान हो जाती है।
मौत से ज़िंदगी के सिर्फ़ 12 दिन में जीत जाने का ये चमत्कार हुआ है, शाजापुर स्थित गोहिल सम्पूर्ण हॉस्पिटल में। जहां कोरोना संक्रमण की चपेट में आए ग्राम सामगीमाना निवासी लाखन सिंह को सटीक उपचार से पूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिला। कुछ वक्त पहले लाखन को कोरोना ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था और जब तक उन्हें उचित उपचार मिलता वायरस ने फेफड़ों को 90 प्रतिशत संक्रमित कर दिया था। कई अस्पतालों में भटकने ओर परेशानी झेलने के बाद लाखन सिंह को उपचार के लिए डॉ. प्रवीणसिंह गोहिल ने अपने निजी अस्पताल में भर्ती कर उनका उपचार शुरू किया।
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लगातार ऑक्सीज़न लेवल कम होने से लाखनसिंह के जीवन पर कोरोना भारी पड़ रहा था, मगर एक संवेदनशील और मरीज़ के प्रति पूरी ज़िम्मेदारी रखकर सही उपचार करने वाले डॉ. श्री गोहिल ने अपने चिकित्सकीय अनुभव से बेहतर उपचार जारी रखा। जिसका परिणाम यह निकला कि गुरूवार को लाखनसिंह मौत को मात देते हुए पूर्णतः स्वस्थ होकर सायकल चलाकर अपने घर के लिए रवाना हुआ।
लाखनसिंह ने स्वस्थ होकर घर जाते समय अन्य मरीजों को एक संदेश भी दिया कि इस बिमारी से डर कर नहीं बल्कि लड़कर ही जीत हासिल की जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि कोरोनाकाल में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में लोगों को जीवन के लिए बेहद संघर्ष झेलना पड़ रहा है ओर जान गंवाने वालों की संख्या कई ज्यादा है। एसे में डॉ. गोहिल द्वारा सीमित संसाधनों के बावजूद मरीजों का बेहतर उपचार कर उन्हें जीवनदान देकर बिमारी को हराने का संकल्प सिद्ध किया जा रहा है। जो वाकई बहुत सराहनीय है।