लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 37 साल तक नौकरी करने वाले फरार फर्जी शिक्षक को मंगलवार को लखीमपुर खीरी के फरधान इलाके से गिरफ्तार कर लिया है।
यह जानकारी एसटीएफ प्रवक्ता ने दी है। उन्होंने बताया कि लखीमपुर खीरी जिले के फूलबेहड़ इलाके के परसेहरी कला निवासी पतिराम सिंह ने फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर 37 साल पहले शिक्षक नियुक्त हुआ था। उन्होंने बताया कि फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर प्रधानाध्यापक के पद पर प्राथमिक विद्यालय, खखरा मिर्जापुर, लखीमपुर खीरी में नियुक्त था, जिसके विरूद्ध लगभग 06 माह पूर्व सेवानिवृत्ति के दिन ही भादवि की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत फरधान थाने पर मुकदमा दर्ज कर उसके बर्खास्त कर दिया गया था।
टीका किसी दल या किसी पार्टी का नहीं है, भाजपा के मंत्री का अखिलेश पर पलटवार
उन्होंने बताया कि मामला दर्ज होने के बाद से ही फर्जी शिक्षक फरार चल रहा था। उसे गिरफ्तार करने के लिए एसटीएफ को लगाया गया था। सूचना मिलने पर एसटीएफ ने लखीमपुर खीरी के फरधान इलाके से उसे गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में अदालत ने फरार फर्जी शिक्षक के खिलाफ वारण्ट जारी कर रखा था। उन्होंने बताया कि आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी के लिए स्थानीय पुलिस ने एसटीएफ से सहयोग मांगा था, जिस पर एसटीएफ की टीम को पता चला कि पतिराम द्वारा अपने विरूद्ध जांच गठित होने पर जांच को धोखा देने के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद काे अपनी अंकतालिका से सम्बन्धित फर्जी सत्यापन तैयार कराकर जांचकर्ता अधिकारी को धोखा देने के उद्देश्य से भेजा था। जिसमें कुछ अन्य लोग इसके सम्पर्क में आये थे।
इन्हीं लोगों पर सर्विलांस की मदद से कार्य करने पर पतिराम के विषय में जानकारी प्राप्त हुई। जिसके क्रम में आज एसटीएफ के उपनिरीक्षक मनोज कुमार पाण्डेय के नेतृत्व में गठित टीम के सूचना के आधार पर एलआरपी चौराहा से वांछित जालसाज को गिरफ्तार कर लिया ।
प्रवक्ता ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी ने पूछताछ पर बताया कि वह मूलरूप से गाजीपुर जिले का रहने वाला है। उसके पिता ने आजमगढ़ निवासी नखड़ू यादव नाम के शिक्षक के माध्यम से वर्ष 1972 में हाई स्कूल की फर्जी मार्कशीट बनवायी गयी थी। जिसके आधार पर वह प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के पद पर नियुक्त हो गया था और लगभग 37 साल तक निरन्तर नौकरी करता रहा। सेवानिवृत्ति के दिन जब उसके विरूद्ध अभियोग पंजीकृत कराकर बर्खास्त कर दिया गया। तो वह फरार हो गया और अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए वह छुपता रहा । वह मोबाइल फोन का भी इस्तेमाल नहीं रखा था । गिरफ्तार फर्जी शिक्षक को जेल भेज दिया गया है।