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लखीमपुर हिंसा: ब्राह्मण मृतकों के घर पहुंचे बृजेश पाठक, दिलाया न्याय का भरोसा

lakhimpur violence

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लखीमपुर हिंसा के बाद विपक्षी दलों ने जिन ब्राह्मण मृतकों के परिजनों से मिलने से परहेज किया था, अब भाजपा वहां पहुंच गई है। मृतक शुभम और हरिओम मिश्रा के परिवार का दर्द बांटकर ब्राह्मणों को संदेश देने के लिए मंत्री बृजेश पाठक लखीमपुर पहुंचे हैं। लखीमपुर सहित पूरे तराई में ब्राह्मणों के लामबंद होने के साथ अब हिन्दू बनाम सिख की पॉलिटिक्स शुरू हो गई है।

इसका फायदा भाजपा लेना चाहती है। हरिओम मिश्रा के पिता ने कहा है कि मंत्री ने न्याय का भरोसा दिलाया है। मेरे बेटे को शहीद का दर्जा दिया जाएगा। लखीमपुर में चार किसानों सहित हुई आठ हत्याओं के बाद कांग्रेस, सपा और बसपा के दिग्गज नेता संवेदना व्यक्त करने पहुंचे।

लेकिन कोई भी नेता उन ब्राह्मण परिवारों का हालचाल लेने नही गया जिनके अपनों की इस हिंसा में हत्या कर दी गई थी। इसी बीच पंजाब के सीएम और अकाली दल के नेताओं के लखीमपुर पहुंचने के बाद ब्राह्मणों तक सिमटा विरोध हिन्दू बनाम सिख की राजनीति में बदल गया।

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दूसरी तरफ 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा के साथ खुलकर आए सिख समुदाय का ही एक धड़ा 1984 के दंगों का हवाला देकर कांग्रेस को सिख विरोधी कहकर उसकी सहानभूति लेने से इनकार करने लगा। जिले के प्रबुद्धजनों का कहना है कि चुनाव बेहद करीब है और माहौल पूरी तरह हिन्दू बनाम सिख हो चुका है। सिख समृद्ध हैं लेकिन वोटों की गिनती में इतने कम हैं कि अकेले किसी निर्णायक भूमिका में नही आ सकते।

हिंसा के बाद मृतक ब्राह्मणों के परिवार के साथ भेदभाव की बात उठी तो सबसे पहले पूर्वांचल के ब्राह्मणों के कानों तक पहुंची। ब्राह्मण महासभा की गोरखपुर की एक महिला नेता संवेदना व्यक्त करने सबसे पहले उनके दरवाजे पर गई। इसके बाद से नेताओं के आने-जाने का सिलसिला लगातार जारी है। इससे यह भी अंदाज लग गया कि जिले के लोग इस हिंसा को केवल किसानों से जोड़कर नही देख रहे हैं बल्कि हर मरने वाले के प्रति उनकी सच्ची संवेदना है। माहौल को समझते ही बीजेपी ने ब्राह्मण पीड़ित परिवारों के जख्म पर मरहम लगाने के लिए मंत्री बृजेश पाठक को भेज दिया।

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हिंसा के मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र का बेटा सलाखों के पीछे पहुंच गया। जिले में दबंग छवि वाले अजय मिश्र की अब तक जो इमेज लोगों ने देखी थी उससे किसी को उनकी इस खामोशी का अंदाजा नहीं था। लेकिन अब उनकी खामोशी को नैतिकता और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि के नजरिए से देखा जा रहा है। दूसरी ओर मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी को भाजपा सरकार का क्राइम के प्रति जीरो टॉलरेंस माना जा रहा। हालांकि अभी मंत्री के इस्तीफे को लेकर किसान नेताओं का दबाव बना हुआ है, लेकिन विपक्ष के विरोध का सुर थोड़ा कम हो गया है।

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