लखीमपुर हिंसा केस के आरोपी आशीष मिश्रा की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं। सीजेएम कोर्ट ने आशीष मिश्रा समेत सभी 13 आरोपियों पर 307 धारा लगाने का आदेश दे दिया है। मतलब अब हत्या के प्रयास की धारा (307) के तहत आशीष मिश्रा की जांच होगी।
लखीमपुर सीजेएम कोर्ट ने आशीष मिश्रा समेत सभी 13 आरोपियों पर 307 हत्या का प्रयास, 326 खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाना, 34 एक राय होकर घटना को करना, और 3/25/30 आर्म्स एक्ट यानी लाइसेंसी लाइसेंस के दुरुपयोग को मंजूर किया।
बता दें कि मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने कड़ी धाराएं लगाने की गुजारिश सीजीएम कोर्ट से की थी। इसकी मंजूरी अब कोर्ट ने दे दी है।
जांच अधिकारी ने आशीष मिश्रा समेत सभी आरोपियों पर लगी गैर इरादतन हत्या (304A), लापरवाही से गाड़ी चलाने 279, और गंभीर चोट पहुंचाने 338 की धारा हटाने की अर्जी दी थी। इसके साथ ही आशीष मिश्रा पर जांच अधिकारी ने हत्या के प्रयास की धारा 307, खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाने की धारा 326, समान उद्देश्य से कई लोगों के द्वारा की गई घटना 34, व 3/25 arms act लगाने की अनुमति मांगी थी।
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भारतीय दंड संहिता की धारा 307 जब कोई इंसान किसी दूसरे इंसान की हत्या की कोशिश करता है। और वह हत्या करने में नाकाम रहता है। तो ऐसा अपराध करने वाले को आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा दिए जाने का प्रावधान है। आसान लफ्जों में कहें तो अगर कोई किसी की हत्या की कोशिश करता है, लेकिन जिस शख्स पर हमला हुआ है, उसकी जान नहीं जाती तो इस तरह के मामले में हमला करने वाले शख्स पर धारा 307 के अधीन मुकदमा चलता है।
307 में क्या होती है सजा
हत्या की कोशिश करने वाले आरोपी को आईपीसी की धारा 307 में दोषी पाए जाने पर कठोर सजा का प्रावधान है। आम तौर पर ऐसे मामलों में दोषी को 10 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। जिस आदमी की हत्या की कोशिश की गई है अगर उसे गंभीर चोट लगती है, तो दोषी को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है।