वैसे तो हर पर्व का धर्म नगरी काशी में महत्व है, लेकिन माघ मास में अमावस्या तिथि का खास महत्व है। इस अमावस्या तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
पुण्य की प्राप्ति के लिए लाखों श्रद्धालु आज के दिन (मौनी अमावस्या) गंगा में स्नान कर दान करते हैं और आज इस स्नान का महत्व काशी में खासा नजर आया, जहां आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। लाखों की संख्या में भक्त आस्था की डुबकी लगाने गंगा घाट पहुचें।
जब चन्द्रमा व सूर्य मकर राशि में एक साथ रहते हैं तो मौनी अमावस्या का संयोग बनता है और इस दिन प्रात:काल स्नान कर दान आदि करना चाहिए। आज के दिन तिल के दान का विशेष महत्व है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस पुण्य तिथि के अवसर पर लाखों श्रद्धालु वाराणसी के गंगा घाटों पर स्नान करने आये हैं। श्रद्धालुओं का गंगा घाटों पर तांता लगा हुआ है।
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श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतेजाम भी किये गए हैं। कड़ाके की ठंड के बावजूद पुण्य प्राप्ती के लिए भोर से ही गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालु घाटों पर पहुंचने लगे थे। मौनी अमावस्या पर सूर्य व चंद्रमा मकर राशि में होकर एक साथ युति करेंगे।
पितरों का कारक ग्रह सूर्य व दान में लाभ दिलाने वाला चंद्रमा का एक साथ युति करना और दोनों ग्रहों पर गुरु का दृष्टि गोचर होना अमृत योग का कारण बनेगा। मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान से सभी कष्ट और पाप कट जाता है।