धर्म डेस्क। दिवाली पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाने वाला रौशनी का त्योहार है। यह हिन्दुओं का बड़ा त्योहार होता है। यह पर्व अपने साथ कई त्योहारों को साथ लेकर आता है। दिवाली पर्व की शुरूआत धनतेरस से होती है, फिर इसके बाद नरक चतुर्दशी आता है। इसी दिन छोटी दिवाली मनायी जाती है। फिर दिवाली आती है उसके बाद गोवर्धन पूजा होती है और फिर अगले दिन भाई दूज आता है।
ऐसे में दीपावली की तैयारियां पहले से ही होने लगती हैं। लोग अपने घरों की सफाई और सजावट भी करने लग जाते हैं। कहते है कि इस दिन भगवान राम चौदह बरस के वनवास को पूरा करके वापस अयोध्या आए थे जिस कारण से उनके स्वागत में अयोध्या में दीये जलाए गए थे तब से दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
दीपावली के पहले दिन यानि धनतेरस के दिन लोग सोने-चांदी या नए बर्तन की खरीदारी करते हैं और लक्ष्मी जी के आगे दीये जलाते हैं। नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज के लिए असमय मृत्यु के भय से बचने के लिए सारी रात दीपक जलाएं जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था तब से छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
दीपावली की रात को घरों में मुख्यता पकवान बनाए जाते है और लक्ष्मी माता को भोग लगाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जाता है। गोवर्धन के दिन अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों से गोवर्धन की पूजा की जाती है। भैया दूज के दिन बहनें अपने भाईयों का टीका करती हैं और एक दूसरे के जीवन के लिए मंगल कामना करती हैं। इस प्रकार दीपावली के पांचों त्योहारों का अपना महत्त्व है तो आइए जानते है कि इन दिनों पूजा के लिए क्या-क्या सामग्री चाहिए होती है।