नई दिल्ली। फाल्गुन की अमावस्या में इस बार अद्भुत संयोग बन रहा है। अमावस्या का वैसे ही बहुत महत्व होता है, लेकिन इस बार अमावस्या के दिन शनिवार होने से इसे और भी फल देने वाला माना जा रहा है।
जानकारों की मानें तो आज के दिन कालसर्प, शनि की साढ़ेसाती समेत शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि शनिदेव को अमावस्या की महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इस दिन शनि देव की पूजा करने वालो पर शनिदेव की असीम कृपा होती है और शनिदेव के दोषों से मुक्ति मिलती है। आइए जानें पूजन विधि।
सुबह का पूजन
शनि अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर शनिदेव का शुद्ध मन से ध्यान करना चाहिए। इसके बाद जल के पात्र में गुड़ और तिल जलाकर उसे पीपल के वृक्ष में अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही सरसों के तेल में दिया जलाना चाहिए। इसके बाद अपनी मनोकामना को मन में बोलते हुए पीपल के वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
शनि अमावस्या की विशेष पूजन विधि
मान्यता है कि इस दिन विशेष पूजन, स्नान, उपाय व उपवास से पितृगण को तृ्प्ति मिलती है। साथ ही शनि के दोषों से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन शनि देव की विशेष पूजन करना चाहिए। इस दिन घर के पश्चिम दिशा में काले कपड़े पर शनिदेव की मूर्ति या उनका चित्र स्थापित करना चाहिए। इस दिन शनि देव को तिल और काजल चढ़ाने का भी अपना ही महत्व है। साथ ही शनिदेव को उड़द की खिचड़ी का भोग लगाया जाना चाहिए।
इसके साथ ही शं शनैश्चराय कर्मकृते नमः मंत्र का एक माला के साथ मंत्रोच्चारण करनी चाहिए। इसके बाद बचे हुए भोग को काली गाय को खिलाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि शनि की साढ़ेसाती के समय में इस दिन शनिदेव की पूजा करने से उनका प्रभाव भी कम हो जाता है। इसके अलावा इस दिन शनिदेव के पूजन से उन्हें खुश करके मनचाहा फल भी प्राप्त किया जा सकता है।
शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति दान करें ये चीजे
शनि अमावस्या के दिन ऐसी मान्यता है कि इस दिन शनि दोष से से पीड़ित व्यक्तियों को शनि यंत्र धारण करना चाहिए। साथ ही काले वस्त्र पर नारियल रखकर, तेल, काला तिल, उड़द की दाल, घी दान करने से शनि देव की कृपा मिलती है ।
पितरों को खुश करने का दिन
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि अमावस्या तिथि के स्वामी पितृदेव हैं। आज के दिन अपने पितरों को भी प्रसन्न करने का सही समय होता है। ऐसा माना जा रहा है कि शनिश्चरी अमावस्या के दिन किए गए शांति उपाय ज्यादा फलकारी होते हैं।
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तंत्र शास्त्र में भी है महत्व
तंत्र शास्त्रों में कहा गया है कि इन दिन किए गए पूजन और पितरों के लिए किए गए तर्पण से सहस्त्र गुना फल मिलता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और विभिन्न प्रकार के अनाजों का दान करना फलकारी माना गया है। गरीबों को या ज़रूरतमंदों को दान करने से भी फायदा होता है।
घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह
अपने पितरों का स्मरण करने और विधि विधान पूर्वक पूजन करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। कहा जाता है कि इस दिन किए गए पूजन से पितरों का आशीर्वाद मिलता है एवं जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।