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सीखे सूर्य नमस्कार के बारह चरण, पहुंचाए ढेरों बीमारियों से राहत

surya namaskar

सूर्य नमस्कार

लाइफस्टाइल डेस्क। आज के दौर में हम अपने आप को बेस्ट और फिट रहने के लिए बहुत सारे नुस्खे अपनाते हैं। जैसे की कोई जिम जाता हैं, तो कोई मॉर्निंग वाक् जाता हैं, और कोई योग आसन करता हैं। लोग तरह-तरह के नुस्खा अपनाते हैं। अगर हमको अपने आप को स्वस्थ रखना तो एक्सरसाइज करना होगा फायदेमंद।

आपने तो सुना होगा की योग के जरिए निरोग रहने की बातें की जाती हैं। बहुत लोग तो नियमित योग आसन करते हैं। लेकिन अगर आप नहीं समझ पा रहें हैं कि कौन सा योगासन शरीर के लिए फायदेमंद होगा तो केवल सूर्य नमस्कार का अभ्यास ही आपको ढेरों बीमारियों से राहत पहुंचाकर लाभ देगा। तो चलिए सीखें सूर्य नमस्कार के बारह चरण।

प्रणामासन

खुले मैदान में योगा मैट के ऊपर खड़े हो जाएं और सूर्य को नमस्कार करने के हिसाब से खड़े हो जाएं। सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को जोड़ कर सीने से सटा लें और गहरी, लंबी सांस लेते हुए आराम की अवस्था में खड़े हो जाएं।

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हस्तोतानासन

पहली अवस्था में खड़े रहते हुए सांस लीजिए और हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। और पीछे की ओर थोड़ा झुकें। इस बात का ध्यान रखें कि दोनों हाथ कानों से सटे हुए हों। हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं।

हस्त पादासन

सूर्य नमस्कार की यह खासियत होती है कि इसके सारे चरण एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। हस्तोतानासन की मुद्रा से सीधे हस्त पादासन की मुद्रा में आना होता है। इसके लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। ध्यान रहें कि इस दौरान सांसों को धीरे-धीरे छोड़ना होता है। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों।

अश्व संचालनासन

हस्त पादासन से सीधे उठते हुए सांस लें और बांए पैर को पीछे की ओर ले जाएं और दांये पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती के दाहिने हिस्से से सटाएं।हाथों को जमीन पर पंजों को फैलाकर रखें। ऊपर की ओर देखते हुए गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं।

दंडासन 

गहरी सांस लेते हुए दांये पैर को भी पीछे की ओर ले जाएं और शरीर को एक सीध में रखे और हाथों पर जोर देकर इस अवस्था में रहें।अब धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए घुटनों को जमीन से छुआएं और सांस छोड़ें।

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अष्टांग नमस्कार

अब धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए घुटनों को जमीन से छुआएं और सांस छोड़ें। पूरे शरीर पर ठोड़ी, छाती, हाथ, पैर को जमीन पर छुआएं और अपने कूल्हे के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं।

भुजंगासन

कोहनी को कमर से सटाते हुए हाथों के पंजे के बल से छाती को ऊपर की ओर उठाएं। गर्दन को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं।

अधोमुख सवासन

भुजंगासन से सीधे इस अवस्था में आएं। अधोमुख सवासन के चरण में कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं लेकिन पैरों की एड़ी जमीन पर टिका कर रखें। शरीर को अपने V के आकार में बनाएं।

अब एक बार फिर से अश्व संचालासन की मुद्रा में आएं लेकिन ध्यान रहें अबकी बार बांये पैर को आगे की ओर रखें। इसके बाद उठते हुए हस्त पादासन की मुद्रा में आएं और इसके बाद हस्त पादासन की मुद्रा में जाते हुए फिर ताड़ासन की मुद्रा में आएं। यानी की सीधे खड़े होकर हाथों को नीचे कर लें और सांस को छोड़ते हुए आराम की मुद्रा में आ जाएं।

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सूर्य नमस्कार के पूरे चरणों को करने के बाद आपको शरीर में ऊर्जा का संचार होता हुआ महसूस होगा। इसके साथ ही इसे करने से दिमाग और शरीर को आराम मिलता है। सूर्य नमस्कार के बारहों चरण को बारह बार करना चाहिए। तब जाकर आप इसके फायदों को पा सकते हैं।

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