Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

लेबनान के विदेश मंत्री नसीफ हित्ती ने आर्थिक संकट के बीच दिया इस्तीफा

विदेश मंत्री नसीफ हित्ती

विदेश मंत्री नसीफ हित्ती

बेरूत। लेबनान के विदेश मंत्री नसीफ हित्ती ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। देश में चल रहे गंभीर आर्थिक संकट के बीच हित्ती पहले मंत्री हैं जिन्होंने इस्तीफा दिया है। हित्ती ने बिना कोई टिप्पणी किए सरकारी आवास खाली कर दिया। राजनयिक से अपना करियर शुरू करने वाले हित्ती प्रधानमंत्री हसन दियाब सरकार में इसी साल जनवरी में विदेश मंत्री बने थे।

गौरतलब है कि लेबनान तेजी से आर्थिक दिवालियापन, संस्थानों के खंडित होने और उच्च महंगाई दर की ओर बढ़ रहा है। यहां गरीबी में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। इन समस्याओं में कोविड-19 वैश्विक महामारी ने और बढ़ोतरी कर दी है। कहा जा रहा है कि हित्ती सरकार के प्रदर्शन और सुधार के लिए किए वादों पर कोई काम नहीं होने से नाखुश थे।

दो धार्मिक गुटों के बीच पथराव के बाद असम के सिलचर में कर्फ्यू

लेबनान में स्थिति दिन प्रति दिन भयावह होती जा रही है। बड़ी संख्या में लोगों को काम से निकाला जा रहा है। अस्पतालों के बंद होने का खतरा है, दुकान और रेस्टोरेंट बंद हो रहे हैं, अपराध बढ़ता जा रहा है और सेना अपने सैनिकों को भोजन तक मुहैया नहीं करा पा रही है। गोदामों की ओर से मियाद खत्म हो चुके (एक्सपायर) खाद्य पदार्थों को बेचा जा रहा है।

लेबनान में 20 घंटे तक बिजली कटौती, सड़कों पर कूड़े के ढेर, कमजोर आधारभूत संरचना और एक के बाद एक आई आपदा के मद्देनजर विश्लेषकों की राय है कि यह देश दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहा है। इस संकट से लेबनान के बिखरने का खतरा बढ़ गया है जो अरब में विविधता और मेलमिलाप के आदर्श मॉडल के रूप में स्थापित है और इसके साथ ही अराजकता फैल सकती है। लेबनान 18 धार्मिक संप्रदाय, कमजोर केंद्रीय सरकार, मजबूत पड़ोसी की वजह से क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता का शिकार होता रहा है जिससे राजनीतिक जड़ता, हिंसा या दोनों का उसे सामना करना पड़ता है। लेबनान हमेशा से ईरान और सऊदी अरब के वर्चस्व की लड़ाई का शिकार बनता रहता है,लेकिन मौजूदा समस्या स्वयं लेबनान द्वारा उत्पन्न है, जो दशकों से भ्रष्ट और लालची राजनीतिक वर्ग की वजह से उत्पन्न हुई है, जिसकी चोट अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र पर पड़ी।

दुनिया में सबसे अधिक सार्वजनिक कर्ज के बावजूद लेबनान कई साल से दिवालिया होने से बचा रहा। स्टडीज एट कार्नेज इंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के उपाध्यक्ष मरवान मुआशेर ने कहा, ‘लेबनान में एक समस्या यह है कि यहां भ्रष्टाचार का लोकतांत्रिकीकरण हुआ है। यह केंद्र में बैठे एक व्यक्ति के साथ ही नहीं है, यह हर जगह है।’

बहन सुषमा स्वराज को याद कर भावुक हुए उपराष्ट्रपति, कहा- आज आपकी बहुत याद आ रही है

उल्लेखनीय है कि लेबनान में परेशानी साल 2019 के आखिर में तब बढ़ी जब सरकार ने व्हाट्सएप मैसेज पर टैक्स लगाने की इच्छा जताई थी। असे लेकर पूरे देश में भारी प्रदर्शन शुरू हो गए थे। माना जा रहा है कि अपने नेताओं से परेशान लोगों के खिलाफ खुलकर सामने आने के लिए इसने आग में घी का काम किया।

Exit mobile version