नई दिल्ली| जीएसटी कंपंसेशन को लेकर केंद्र सरकार और राज्यों के बीच तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। सूत्रों ने हिन्दुस्तान को बताया है कि भले ही राज्य जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्र से इस रकम को उधार लेने की बात कर रहे हों लेकिन असल में ये मामला काउंसिल के अधिकार क्षेत्र का है ही नहीं।
मामले से जुड़े अधिकारी के मुताबिक, जीएसटी परिषद को सिर्फ इस बात का अधिकार है कि वो उत्पादों पर सेस लगाकर कंपंसेशन का घाटा पूरा कर सके। उधारी के मामले में राज्य और केंद्र सरकार को अपनी तरफ से ही पहल करनी होती है। केंद्र सरकार ने कंपंसेशन सेस की अवधि को बढ़ाने का भी फैसला कर लिया है।
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ऐसे में गेंद अब राज्यों के पाले में ही है कि वो या तो केंद्र सरकार के आरबीआई के जरिए उधार लेने और उस रकम को 2022 के बाद इकट्ठा होने वाले कंपंसेशन सेस के जरिए चुकाने के लिए तैयार हों या फिर कोई नया रास्ता तलाशें। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से जो दो उधारी के विकल्प सुझाए थे उनमें राज्यों को रिजर्व बैंक से उधारी का विकल्प दिया गया था।
इसमें से पहले विकल्प के तौर पर 1.10 लाख करोड़ रुपए उधार लेने पर 21 राज्य सहमत भी हो चुके हैं। सोमवार को हुई परिषद की बैठक में बाकी राज्यों के विरोध को देखते हुए इस पर अंतिम फैसला फिलहाल 12 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया गया है।