लखनऊ/ नोएडा। भ्रष्टाचार की इमारत ट्विन टावर (Twin Tower) ध्वस्त हो गई है। अब बारी भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की है। CM योगी (CM Yogi) ने इस भ्रष्टाचार में शामिल 26 अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों की बकायदा लिस्ट भी सीएम ऑफिस (CM Office) से जारी हो गई है। यह वो अधिकारी है जब ए टावर बन रहा था तब किसी न किसी पद पर नोएडा अथॉरिटी में तैनात थे। ये इनके संरक्षण में ही इस इमारत को 15 मंजिल से 32 मंजिल बनने की बुनियाद रखी गई थी।
200 करोड़ में 32 मंजिला बनाया गया था टावर (Twin Tower)
यूपी सरकार के द्वारा नोएडा के सेक्टर 93A में बनाए गए ट्विंस टावर (f Twin Tower ) में शामिल भ्रष्टाचार के अधिकारियों की सूची जारी कर दी गई है। 200 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए 32 मंजिला टावर में 26 प्रमुख अधिकारियों की सूची जारी की गई है। 2006 से बनाए जा रहे ट्विन टावर तत्कालीन सीओ महेंद्र मोदी नोएडा में तैनात थे।
इसके बाद तैनात किए गए पांच सीईओ के खिलाफ की सूची में जारी किया गया है। सीएम योगी के ऑफिस से जारी की गई सूची में 26 अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इसके अलावा चार सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक और आर्किटेक्ट भी शामिल है।अपर मुख्य सचिव गृह बोले- सभी के खिलाफ होगी कार्रवाई
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी (Avnish Awasthi) ने कहा भ्रष्टाचार पर एक्शन जारी रहेगा। पहली बार इतना बड़ा निर्माण कराया गया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया है। दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। नोएडा में भ्रष्टाचार की इमारत जमींदोज कर दी गई है। इस मामले में शामिल सभी अधिकारियों की सूची तैयार कर दी गई है।
क्या है ट्विन टावर (Twin Tower) का भ्रष्टाचार
ट्विन टावर ध्वस्त होने जा रहा है तो हर कोई सवाल कर रहा है कि आखिर यह क्यों टूट रहा है? इस मामले में क्या हुआ था? इसका जवाब है कि नोएडा के ट्विन टावर निर्माण में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था। नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों ने रियल इस्टेट कारोबारी के साथ मिलकर भ्रष्टाचार किया। भ्रष्टाचार की इस गाथा की शुरुआत का साल है आज से करीब 18 साल पहले वर्ष 2004। नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर 93ए में ग्रुप हाउसिंग के प्लॉट नंबर 4 का आवंटन 23 नवंबर 2004 को एमराल्ड कोर्ट को कर दिया।
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ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को नोएडा अथॉरिटी की ओर से 14 टावर निर्माण के नक्शे का आवंटन किया गया।ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में सभी 14 टावरों के लिए जी+9 यानी ग्राउंड फ्लोर के साथ 9 मंजिला पास किया गया। इसके बाद शुरू हुआ बिल्डर और अथॉरिटी के बीच का खेल। करीब 2 साल बाद 26 नवंबर 2006 को अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के नक्शे में पहला संशोधन किया। बिल्डर को दो मंजिल और निर्माण की मंजूरी दे दी गई।
मतलब, सभी 14 टावर में अब 9 की जगह 11 मंजिल का निर्माण करने की अनुमति दे दी गई। फिर दो और टावर निर्माण की मंजूरी दी गई। टावर 15 और टावर 16 को भी 11 मंजिल इमारत के निर्माण का नक्शा दिया गया। टावर की ऊंचाई 37 मीटर निर्धारित की गई थी।टावरों के निर्माण योजना में लगातार बदलाव हो रहे थे। इसी क्रम में 26 नवंबर 2009 को ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के टावर नंबर- 17 का नक्शा पास किया गया।
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टावर नंबर 16 के नक्शे में संशोधन किया गया। नए नक्शे के मुताबिक, टावर नंबर 16 और 17 के 24 मंजिला निर्माण की मंजूरी दी गई। अब इसकी ऊंचाई 73 मीटर निर्धारित की गई। मामला यहीं नहीं थमा। भ्रष्टाचार की पेट जैसे-जैसे भरी जा रही थी, टावर की ऊंचाई उसी हिसाब से बढ़ती जा रही थी। टावर के नक्शे में तीसरा संशोधन 2 मार्च 2012 को किया गया। नए संशोधन के तहत टावर नंबर 16 और 17 के लिए फ्लोर एरिया रेशियो बढ़ा दिया गया। नए एफएआर के तहत दोनों टावरों की ऊंचाई 40 मंजिला करने की इजाजत दे दी गई। नए संशोधन के बाद बिल्डिंग की ऊंचाई 121 मीटर तय की गई।
ट्विन टॉवर्स (Twin Tower) के भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों की सूची
> मोहिंदर सिंह /CEO नोएडा (रिटायर्ड)
> एस.के.द्विवेदी /CEO,नोएडा (रिटायर्ड)
> आर.पी.अरोड़ा/अपर CEO,नोएडा (रिटायर्ड)
> यशपाल सिंह/विशेष कार्याधिकारी (रिटायर्ड)
> स्व. मैराजुद्दीन/प्लानिंग असिस्टेंट (रिटायर्ड)
> ऋतुराज व्यास/ सहयुक्त नगर नियोजक(वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में प्रभारी महाप्रबंधक)
> एस.के.मिश्रा /नगर नियोजक (रिटायर्ड)
> राजपाल कौशिक/वरिष्ठ नगर नियोजक (रिटायर्ड)
> त्रिभुवन सिंह/मुख्य वास्तुविद नियोजक (रिटायर्ड)
> शैलेंद्र कैरे/उपमहाप्रबन्धक,ग्रुप हाउसिंग (रिटायर्ड)
> बाबूराम/परियोजना अभियंता (रिटायर्ड)
> टी.एन.पटेल/प्लानिंग असिस्टेंट (सेवानिवृत्त)
> वी.ए.देवपुजारी/मुख्य वास्तुविद नियोजक (सेवानिवृत्त)
> अनीता/प्लानिंग असिस्टेंट (वर्तमान में उ.प्र.राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण)
> एन.के. कपूर /एसोसिएट आर्किटेक्ट (सेवानिवृत्त)
> मुकेश गोयल/नियोजन सहायक (वर्तमान में प्रबंधक नियोजक के पद पर गीडा में कार्यरत)
> प्रवीण श्रीवास्तव/सहायक वास्तुविद (सेवानिवृत्त)
> ज्ञानचंद/विधि अधिकारी (सेवानिवृत्त)
> राजेश कुमार /विधि सलाहकार (सेवानिवृत्त)
>डी.पी. भारद्वाज/प्लानिंग असिस्टेंट
> विमला सिंह/ सहयुक्त नगर नियोजकविपिन गौड़/महाप्रबंधक (सेवानिवृत्त)एम.सी.त्यागी/परियोजना अभियंता (सेवानिवृत्त)
> के.के.पांडेय/ *मुख्य परियोजना अभियंतापी.एन.बाथम/ अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी
> ए.सी सिंह/वित्त नियंत्रक (सेवानिवृत्त)
सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक तथा आर्किटेक्ट की सूची
1-आर.के.अरोड़ा-निदेशक
2-संगीता अरोड़ा-निदेशक
3-अनिल शर्मा-निदेशक
4-विकास कंसल-निदेशक
दीपक मेहता (एसोसिएट्स आर्किटेक्ट)
नवदीप ( इंटीरियर डिजाइनर)