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लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, मानसून सत्र में 37 घंटे ही चला सदन

Lok Sabha

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नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र (Moosoon Session) गुरुवार को विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जोरदार हंगामे के बीच अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। विपक्ष लगातार एसआईआर मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा था, लेकिन अदालत में मामला विचाराधीन होने के कारण इस पर सदन में चर्चा संभव नहीं हो सकी। सत्र के अंतिम दिन भी विपक्षी दलों ने सदन की कार्यवाही बाधित की, जिसके बाद लोकसभा स्पीकर (Lok Sabha Speaker) ने विपक्ष को फटकार लगाते हुए कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का ऐलान किया।

37 घंटे ही चला सदन

लोकसभा (Lok Sabha) की कार्यवाही जैसे ही दोपहर 12 बजे शुरू हुई, विपक्षी सांसद फिर से नारेबाजी और हंगामे पर उतर आए। इस पर स्पीकर ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि विपक्ष का आचरण लोकतंत्र और संसद की गरिमा के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की जनता सब देख रही है कि किस प्रकार से अहम मुद्दों पर चर्चा को बाधित किया जा रहा है। स्पीकर ने जानकारी दी कि पूरे मानसून सत्र के दौरान सदन में केवल 37 घंटे की ही चर्चा हो पाई, जिसमें 12 विधेयक पारित हुए और 55 प्रश्नों के ही मौखिक उत्तर दिए गए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में मौजूद रहे।

विधेयक को फाड़ा जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण: भाजपा

भाजपा सांसद शशांक मणि ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि गंभीर आपराधिक आरोपों से जुड़े विधेयक को विपक्षी सांसदों द्वारा फाड़ा जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, “यह आचरण विश्व की सबसे बड़ी पंचायत में शोभा नहीं देता। पूरी दुनिया भारत की संसद की ओर देख रही है और जनता अगले चुनाव में विपक्ष को सबक सिखाएगी।”

गलत परंपरा की शुरुआत: चिराग पासवान

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी विपक्ष के हंगामे को निंदनीय करार दिया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका अहम होती है, लेकिन सकारात्मक होनी चाहिए। “यदि आपको सरकार से आपत्ति है तो सदन का पटल आपके पास है। बहस कीजिए, देश को सुनने दीजिए। लेकिन सदन चलने ही न देना, बिल फाड़कर फेंकना—यह विपक्ष की कार्यशैली को दर्शाता है और लोकतंत्र में गलत परंपरा की शुरुआत करता है।”

सत्र के अन्य मुद्दे

21 जुलाई से शुरू हुए इस मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने कई मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन किए। इनमें ‘वोट चोरी’ के आरोप, बिहार के विशेष गहन पुनरीक्षण में गड़बड़ियां, ऑपरेशन सिंदूर, और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर केंद्र की कार्यप्रणाली जैसे विषय शामिल रहे।

संसद का यह मानसून सत्र कामकाज से ज्यादा हंगामे के लिए याद रखा जाएगा, जहां जनता के अहम सवालों से ज्यादा विपक्ष और सत्ता पक्ष की तकरार सुर्खियों में रही।

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