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लोकपाल को नौ महीनों मेें मिली 89 शिकायतें मिलीं, सीबीआइ को तीन मामलों की जांच

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नई दिल्ली। भ्रष्टाचार विरोधी निकाय लोकपाल को 2020 में अप्रैल से दिसंबर के बीच 89 शिकायतें प्राप्त हुईं जिनमें तीन सांसदों के खिलाफ थीं। आंकड़ों के अनुसार लोकपाल ने 21 शिकायतों में प्रारंभिक जांच का आदेश दिया। 18 मामलों में जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग को जबकि तीन मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) से करने को कहा था।

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लोकपाल ने एक शिकायत में प्रवर्तन निदेशालय से जांच रिपोर्ट मांगी वहीं एक अन्य मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार लोकपाल को समूह ए और बी श्रेणी के केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ 48 शिकायतें मिलीं जबकि 33 शिकायतें विभिन्न बोर्डो, निगमों, स्वायत्त निकायों के अध्यक्षों, सदस्यों और कर्मचारियों के खिलाफ थीं।

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दिसंबर 2020 के अंत तक अपडेट आंकड़ों के अनुसार लोकपाल ने प्रारंभिक जांच के बाद 43 शिकायतों को बंद कर दिया। उनमें से 39 को प्रारंभिक जांच और चार को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर विचार करने के बाद बंद किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 23 मार्च, 2019 को लोकपाल के अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को पद की शपथ दिलाई थी। लोकपाल उच्च स्तरीय लोक अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए शीर्ष निकाय है।

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न्यायमूर्ति घोष ने उसी वर्ष 27 मार्च को लोकपाल के आठ सदस्यों को शपथ दिलाई थी। लोकपाल को 2019-20 के दौरान कुल 1,427 शिकायतें मिलीं जिनमें से 613 राज्य सरकार के अधिकारियों और चार केंद्रीय मंत्रियों और संसद सदस्यों के खिलाफ थीं। कुल शिकायतों में से, 220 अनुरोध, टिप्पणी व सुझाव थे। आंकड़ों के अनुसार कुल शिकायतों में से 1,347 का निस्तारण किया गया वहीं 1,152 शिकायतें लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से परे थीं।

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