रामनगरी अयोध्या में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट की ओर से आयोजित हुए ‘श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ’ का समापन अवसर पर बुधवार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए। सीएम योगी महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ की यज्ञशाला पहुंचे और यज्ञ कुंड में आहुति डाली। मुख्यमंत्री ने यज्ञाहुति डालने के साथ सभा को भी संबोधित किया और महर्षि आश्रम परिसर में ही रामनगरी के संतों के साथ भोजन किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वेदों के बारे में जो दुष्प्रचार दुनिया मे हुआ, लोगों ने गलत तथ्य प्रस्तुत किये उन पर विश्वमंच पर रामायण महाभारत के प्रसंगों को मजबूती के साथ महर्षि ने रखा। दुनिया के सामने भारत और भारतीयता को रखना हम सब के लिए उदाहरण है। जब सरकार खुद को सेक्युलर दिखाने की कोशिश कर रही हो, उस को देखते हुए ये अद्भुत है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष 2017 ने हमने यहां दीपोत्सव कार्यक्रम प्रारंभ किया। दुनियाभर के कलाकारों को यहां बुलाया गया। इंडोनेशिया से रामायण कलाकारों को बुलाया। इंडोनेशिया के कलाकार मुस्लिम थे, उन्हें बाद मे मुख्यमंत्री आवास बुलाया था। उन्होंने कहा कि थाईलैंड के राजा राम के वंशज मानते हैं। लाओस अपनी परंपरा को यहां से जुड़ा मानते हैं। इंडोनेशिया मुस्लिम बाहुल्य राष्ट्र के लोग पूरी तन्मयता भाव से रामायण से जुड़े थे।
मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि राम से हमारा आत्मीय संबंध है। अयोध्या आना हमारे लिए गौरव की बात है। राम हमारे आस्था के प्रतीक हैं और हमारे पूर्वज हैं। हमारे पूर्वजों ने उपासना विधि बदली होगी, लेकिन राम हमारे पूर्वज हैं। हमारी एयरलाइंस का नाम गरुण है। सीएम योगी ने कहा कि इसलिए भारत ही नहीं विश्व मानस भी अयोध्या से जुड़ने में गर्व महसूस करता है। इस बार के दीपोत्सव में श्रीलंका के राजदूत वहां की शिला लेकर आये थे।
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सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राम और धर्म एक दूसरे के पूरक हैं। यही तो राम और सनातन धर्म की विशेषता है। अयोध्या ने 500 से ज्यादा वर्षों का संघर्ष को झेला है। मुहम्मद गोरी के समय से पहके सालार मसूद गाजी तक ने हमारी भावनाओं को छिन्न भिन्न किया, लेकिन अयोध्या ने उसे खामोशी से नहीं झेला। हमने प्रतिकार किया। जो अत्याचार करते थे उसके मुहतोड़ जवाब देने के लिए अयोध्या खड़ा हुआ। जब मंच मिला तो पांच अगस्त को प्रधानमंत्री ने राम मंदिर शिलान्यास कर दिया।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाभारत जैसा महाग्रंथ कहीं नहीं होगा। महाभारत में सब कुछ निहित है जो हमारे वेदों में हैं, जो हमारे पुराणों में हैं। एक साजिश हुई थी कि महाभारत जैसे ग्रंथों को लोग अपने घरों में न रखें। महाभारत ग्रंथ का रूप श्रीमदभगवत गीता भी है, जिसे देश में राष्ट्रीय ग्रंथ माना जाता है। हमारे न्यायालयों में उसे साक्षी माना जाता है।