लखनऊ। विकास के इस डिजिटल समय में क्या देश-क्या दुनिया सभी प्रकृति को दरकिनार करने में जुटे हैं। एक ओर जहां बढ़ते शहर और कंक्रीट के जंगल तापमान को बढ़ावा दे रहे हैं। वहीं, प्रदूषण कई बिमारियों को दावत दे रहे हैं और वातावरण में सांस लेना भी दूभर हो रहा है। ऐसे में हम सबकी प्रकृति का बचाने में भूमिका नहीं बढ़ेगी इसे बचाया नहीं जा सकता। विकास के नाम पर हरियाली आरा चलाने से इतर हमे उन्हें संरक्षित करने के लिए आगे आना होगा। इस मुहिम में विद्यार्थियों की सशक्त भूमिका हो सकती है।
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बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में ऐसी ही मुहिम चल रही है। 256 एकड़ परिसर वाले इस विश्वविद्यालय में दो तिहाई भाग प्रकृति के स्वरूप को बनाए हुए है। वेटलैंड को बचाने के साथ ही जंगली जीव जंतुओं और पक्षियों को संरक्षित करने की पहल चल रही है। कोरोना संक्रमण काल ने भले ही हमे प्रकृति के करीब कर दिया हो, लेकिन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विवि में पूरे साल प्रकृति के संरक्षण का न केवल पाठ पढ़ाया जाता है बल्कि परिसर का दो तिहाई हिस्सा संरक्षित भी कर दिया गया है। वैटलैंड के साथ ही प्राकृतिक औषधियों को अपने आंचल में समेटे इस परिसर में पर्यावरण विभाग की ओर से आयोजन भी किए जाते हेँ।
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विवि के कुलपति प्रो.संजय सिंह ने बताय कि परिसर को हरा भरा बनाने में भी विद्यार्थियों और शिक्षकों को जोड़ने का अभियान चलाया जाता है। पर्यावरण विभाग की ओर से परिसर हरियाली को बनाए रखने का भी का काम किया जाता है। आवासीय परिसर में शिक्षकों की ओर से समय=समय पर पौधाराेपण किया जाता है। हरियाली के साथ ही विद्यार्थियों को शुद्ध हवा भी मिलती है। छोटा सा प्रयास विद्यार्थियों के जीवन में बदलाव ला सकता है।