लखनऊ| असिस्टेंट प्रोफेसर के 273 पदों पर भर्ती मामले में महिला आरक्षण को लागू करने के तरीके के विरुद्ध हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष याचिका दाखिल की गई है। याचिका में महिला अभ्यर्थियों के लिए क्षैतिज आरक्षण लागू करते हुए, वर्तमान चयन सूची के पुनरीक्षण की मांग की गई है। याचिका पर न्यायालय ने उच्च शिक्षा सेवा आयोग व अन्य प्रतिवादियों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने शिवांगी सिंह की सेवा सम्बंधी याचिका पर दिया। याची की ओर से अधिवक्ता अनुज कुदेसिया ने वर्ष 1999 के एक शासनादेश व इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक निर्णय का अनुपालन किये जाने की मांग करते हुए, दलील दी कि वर्तमान भर्ती में महिलाओं के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण को क्षैतिज तरीके से न लागू करके वर्टिकल तरीके से लागू किया गया है। जिसकी वजह से आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर सामान्य वर्ग की महिला अभ्यर्थियों की सीटों पर चयनित कर लिया गया है।
वहीं याचिका का विरोध करते हुए, आयोग के अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने तर्क दिया कि उक्त भर्ती में महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि महिलाओं के लिए 20 प्रतिशत से कहीं अधिक सीटें पहले से ही आरक्षित हैं। वहीं मामले में कुछ पुरूष अभ्यर्थियों की ओर से अधिवक्ता चन्दन श्रीवास्तव ने हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र दाखिल किया। जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है।
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पुरुष अभ्यर्थियों की ओर से अनुरोध किया गया है कि चुंकि मामला महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों से सम्बंधित है लिहाजा अन्य सीटों पर भर्ती प्रक्रिया जारी रखी जानी चाहिए। सभी पक्षों को सुनने के पश्चात न्यायालय ने जवाब दाखिल करने का आदेश दिया व मामले में प्रतिवादी बनाई गई तीन महिला अभ्यर्थियों की नियुक्ति को अंतिम आदेश के अधीन कर लिया है। उल्लेखनीय है कि 17 जून को हाईकोर्ट असिस्टेंट प्रोफेसर की उक्त भर्ती को छह सप्ताह में पूरी करने का आदेश पारित कर चुका है।