उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वायरलेस विभाग के डीआईजी अनिल कुमार, उनकी पत्नी पुष्पा, चंद्र पाल सिंह और सब इंस्पेक्टर बृजेश कुमार सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। महानगर थाने में धोखाधड़ी, धमकाने की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। ये एफआईआर कल्याणपुर के एक कारोबारी रमेश कुमार गुप्ता ने दर्ज कराई है।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि अनिल कुमार और उनकी पत्नी पुष्पा ने महानगर स्थित अपना फ्लैट 60 लाख रुपए में बेचने का सौदा किया था। इसके लिए उन्होंने एडवांस लिए थे। बाकी पैसा किश्तों में देने को कहा था। उन्होंने एडवांस दे दिया, जिसके बाद अनिल कुमार ने फ्लैट का कब्जा भी दे दिया।
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रमेश के अनुसार फ्लैट में मरम्मत और पेंट आदि भी उसने करवा दिया था। इसके बाद डीआईजी ने फ्लैट बेचने से मना कर दिया। अब न तो वो एडवांस की रकम लौटा रहे हैं, न ही फ्लैट ही बेच रहे हैं. व्यापारी ने कहा कि डीआईजी ने रुपयों की जरूरत बताकर फ्लैट बेचने के नाम पर एडवांस रकम हड़प लिए।
रमेश का कहना है कि उन्होंने डीआईजी को कुल मिलाकर 640000 की रुपए दिए हैं। वहीं फ्लैट की रंगाई पुताई में भी करीब 62000 का खर्च आया है। यही नहीं जब उन्होंने अपनी रकम वापस मांगी तो डीआईजी ने अपना प्रभाव दिखाते हुए अपने स्टाफ से धमकी दिलवाई और उनकी पत्नी की तरफ से उसके खिलाफ एक छेड़छाड़ का मुकदमा हजरतगंज कोतवाली में दर्ज करा दिया।
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रमेश के अनुसार पिछले एक साल से वह एफआईआर के लिए दौड़ रहे थे लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में शरण ली। यहां भी कोर्ट ने जब यूपी के डीजीपी को अवमानना नोटिस जारी किया, तब जाकर एफआईआर लिखी जा सकी है।