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लखनऊ पुलिस ने रचा इतिहास, अंतरराज्यीय गिरोह से 62 लग्जरी कारें की बरामद

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की लखनऊ पुलिस ने चिनहट इलाके से मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय वाहन चोर गिरोह के सात और सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 62 लग्जरी कारें बरामद की,जिनकी कीमत करीब छह करोड़ रुपये आंकी गई है ।

चिनहट पुलिस ने एक माह पहले 21 जून को इसी गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से करीब पांच करोड़ रुपये की 50 लग्जरी चोरी की कारें बरामद की गई थी।

लखनऊ के संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) नीलाब्जा चौधरी ने आज यहां संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) सोमेन वर्मा एवं उप पुलिस आयुक्त अमित कुमार के निर्देशन में सहाययुक्त आयुक्त विभूतिखण्ड स्वंतंत्र कुमार सिंह के नेतृत्व में चिनहट थाना प्रभारी निरीक्षक क्षितित्र त्रिपाठी पुलिस टीम चेकिंग कर रही थी। उसकी दौरान सूचना पर इस मामले में पहले से वांछित चल रहे अंतरराष्ट्रीय वाहन चोर गिरोह के दो सदस्यों मनोज कुमार और सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया।

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उन्होंनेे बताया कि पकड़े गये वांछितों की निशानदेही पर कल्ली पश्चिम के पास सपना कार बाजार की बगल में सुनसान स्थान पर लग्जरी कार सवार पांच सदस्यों एनुलहक हक,विनोद शर्मा, विकास जायसवाल, इसरार और जियाउलहक को गिरफ्तार किया। ये लोग लग्जारी कार बेचने की फिराक में थे। इन लोगों की निशानदेही पर चोरी की 62 लग्जारी कारें बरामद की। पकड़े गये आरेपियों को जेल भेज दिया गया है।

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गौरतलब है कि पिछले माह चिनहट क्षेत्र में चेकिंग के दौरान पुलिस को देखकर 15 जून को कार सवार लोग उसे छोड़कर भाग गये थे। जांच के बाद पता चला कि कार का मालिक नासिर खान है । उसके बाद पुलिस उपायुक्त पूर्वी सोमेन वर्मा के निर्देशन में गिरोह के सदस्यों की तलाश लग गई और चिनहट इलाके में केडी सिंह स्टेडियम के पास से वाहन चोर गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया। इनमें रिजवान,नाजिर खान,श्याम जायसवाल,विनय तलवार और मोइनुद्दीन खान शामिल हैं।

इस दौरान मोहम्मद कामिल और मनीष टंडन भागने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि इस गिरोह से जुड़े वांछित लोगों में मेरठ निवासी अबरार ,अफजाल,आगरा निवासी रामू शर्मा, मुरादाबाद निवासी आरिफ भांजा,खीरी निवासी शिबू के कार, फजलगंज निवासी सतपाल कबाडी और दिल्ली के मायापुरी निवासी रोमी पाल सिंह शामिल हैं। गिरोह के सदस्य इन वाहनों को नेपाल और बिहार आदि राज्यों में बेचते थे, लेकिन लॉकडान के चलते कामयाबी नहीं मिली और पकड़े गये थै।

यह गिरोह दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को निजी बीमा कंपनियों द्वारा वाहन मालिकों को नुकसान का भुगतान कराकर ऊंची बोली लगाने वाले कबाड़ियों को उनके कागजात के साथ बेच देते थे। बाद में उन वाहनों के कागजात अपराधिक प्रवृति के लोग कबाड़ी से खरीद लेते थे। बाद में चोरी की गई गाडियों का मॉडल और इंजन आदि के नम्बर बदलकर कागजात तैयार कराते थे। गिरफ्तार रिजवान करीब दो दशक से कार बचने का धंधा कर रहा है और वह वाहन चोरों से खरीदी गई कारों को ओएलएस पर बिक्री करता है।

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