हैदराबाद। हैदराबाद के एक अस्पताल में एक मरीज को पुणे में एक ब्रेन डेड डोनर के फेफड़े से जीवनदान मिला। इस पूरी प्रक्रिया को एक घंटे के भीतर अंजाम दिया गया और अंग के स्थानांतरण में विभिन्न अधिकारियों ने साथ मिलकर योगदान दिया।
अंग के तेज स्थानांतरण के लिए रविवार को दोनों शहरों में विभिन्न विभागों द्वारा एक ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था की गई थी। यहां केआईएमएस हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट में एक मरीज का ईलाज चल रहा था, जो टर्मिनल लंग डीजीज से पीड़ित था। मरीज ने तेलंगाना सरकार की जीवनदान योजना के तहत अपना नाम पंजीकृत कराया था।
पंचतत्व में विलीन हुए चेतन चौहान, ब्रजघाट पर बेटे ने दी अंतिम विदाई
एक निजी अस्पताल में ब्रेन डेड घोषित किए गए एक युवा व्यक्ति का परिवार अंग दान करने के लिए रविवार को आगे आया। वहीं जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर (जेडटीसीसी) पुणे ने सुनिश्चित किया कि अंग प्रत्यारोपण के लिए समय पर हैदराबाद पहुंचे। तेलंगाना के जीवनदान योजना की प्रभारी डॉ. स्वर्णलता ने इसका मार्गदर्शन किया और इस नेक काम में समर्थन दिया। वहीं जेडटीसीसी की केंद्रीय समन्वयक आरती गोखले ने सुनिश्चित किया कि यह प्रक्रिया बिना किसी बाधा के पूरी हो।
फेफड़े को पुणे से हैदराबाद एक चार्टर्ड उड़ान द्वारा लाया गया। दोनों शहरों की ट्रैफिक पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था की और भारतीय एयरपोर्ट अथॉरिटी भी इस काम में मदद के लिए आगे आया।
फिल्म ‘दृश्यम’ के डायरेक्टर निशिकांत कामत का निधन, रितेश देशमुख ने ट्वीट कर दी जानकारी
अंतत: केआईएमएस हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट, हैदराबाद तक फेफड़ा शाम को 560 किलोमीटर दूर स्थित शहर से बिना देरी किए एक घंटे के भीतर पहुंच गया और जरूरतमंद मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया।
कोविड -19 महामारी के संकट की घड़ी में जब छोटे स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे भी एक बड़ी बात हैं, वहीं अधिकारियों ने दिखाया कि अगर मजबूत इच्छाशक्ति हो तो फेफड़े के प्रत्यारोपण जैसी कठिन चीजें भी संभव हो सकती हैं।