पटना। बिहार में अक्तूबर-नवंबर के महीने में चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी चुनाव संबंधी गतिविधियों को बढ़ा दिया है। वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाला महागठबंधन मुश्किल में नजर आ रहा है। इसकी वजह है राज्य की सबसे बड़ी लेफ्ट पार्टी भाकपा माले (सीपीआईएमएल) का अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी करना।
सूत्रों का कहना है कि भाकपा माले का नेतृत्व राजद से नाराज है क्योंकि पार्टी ने उसे केवल सात-आठ सीटें देने का ऑफर दिया है। वहीं लेफ्ट 53 सीटों की मांग कर रहा है। वर्तमान में पार्टी के तीन विधायक हैं। उसे 2015 के विधानसभा चुनाव में 1.5 प्रतिशत वोट मिले थे।
कोरोना को लेकर कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर सकते है पीएम मोदी
भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने शनिवार को कहा, ‘हमें दी जाने वाली सीटों की संख्या काफी कम है और ये स्वीकार्य नहीं है। हमने राजद से इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है। लेकिन अब हम 53 से अधिक सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। यदि राजद आने वाले कुछ दिनों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देता है, तो हम गठबंधन के बारे में सोचेंगे। फिलहाल गेंद राजद के पाले में है।’
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने भाजपा-जद (यू) गठबंधन को हराने के लिए राजद के साथ व्यापक बातचीत शुरू की थी। राजद और भाकपा माले के बीच बातचीत न बनने का एक कारण माले द्वारा आरा और फुलवारी जैसी सीटों पर दावा करना है। 2015 में इसपर राजद ने जीत हासिल की थी।
यौन शोषण के आरोप पर बोले अनुराग कश्यप- थोड़ी तो मर्यादा रखिए मैडम
भट्टाचार्य ने कहा, ‘2015 के चुनावों में राजद-जद(यू) के साथ गठबंधन में थी। 2020 में वह विभिन्न पार्टियों के साथ चुनाव लड़ रही है। 2020 में सीट बंटवारा 2015 के फार्मूले पर नहीं हो सकता।’ भाकपा माले महासचिव ने कहा कि उनकी पार्टी का मध्य बिहार, मिथिलांचल, सीवान-गोपालगंज और सीमांचल में मजबूत कैडर बेस है लेकिन राजद जमीनी हकीकत को नजरअंदाज कर रहा है।
वहीं बिहार के अन्य दो मुख्य वामपंथी दल सीपीआई और सीपीएम अब भी राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ गठजोड़ की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन वार्ता बहुत लंबी खिंच रही है। दोनों दल 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।