नागा साधू की खूब चर्चा होती है। हरिद्वार महाकुंभ में भी नागू साधुओं की सबसे अधिक चर्चाएं हैं। कुंभ में नागा साधुओं की दीक्षा हो रही है।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से मिले प्रेयस मंत्र के साथ ही 200 महिलाएं नागा संन्यासी यानी अवधूत आणि के रूप में दीक्षित हो गईं हैं। इसके साथ ही वो जूना अखाड़े की नागा संन्यासी का हिस्सा बन गई।
इन सभी को अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने नागा संन्यासी दीक्षा के दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रेयस मंत्र की दीक्षा दी। इससे पहले इन सभी ने दीक्षा कार्यक्रम के पहले दिन शिखा सूत्र त्याग के साथ ही बुधवार को मुंडन संस्कार और अन्य संस्कार पूरे किए थे।
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उसके बाद अखाड़े की छावनी में स्थापित धर्म ध्वजा के नीचे पूरी रात ओम नमः शिवाय मंत्र और पंचाक्षरी मंत्र का जाप किया था।
ब्रहमुहूर्त में गंगा स्नान करने के बाद सांसारिक वस्त्र का त्याग करने के साथ ही उन्होंने अखाड़े की ओर से मिले ब्रह्मतानी वस्त्र धारण किया और प्रेयस मंत्र के साथ अवधूतानी के रूप में अपना नया परिचय पाया।