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कब है महालक्ष्मी व्रत? जानें पूजा का शुभ समय और नियम

Maa Lakshmi

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हिन्दू धर्म में महालक्ष्मी का व्रत (Mahalakshmi Vrat) हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. महालक्ष्मी व्रत संतान प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि महालक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति महालक्ष्मी व्रत को विधि-विधान से रखता है, उसे जीवन में कभी धन संबंधित समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है. जो महिलाएं पहली बार महालक्ष्मी व्रत करने जा रही हैं, तो उन्हें किन नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण माना जाता है.

पंचांग के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत के लिए भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर दिन मंगलवार को रात 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और 11 सितंबर दिन बुधवार को रात 11 बजकर 46 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 11 सितंबर दिन बुधवार को ही महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat) रखा जाएगा. इस दिन इन शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं.

इन मुहूर्त में करें पूजा

ब्रह्म मुहूर्त- सूबह 04 बजकर 32 मिनट से 05 बजकर 18 मिनट तक रहेगा.
प्रातः सन्ध्या- सुबह 04 बजकर 55 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक रहेगा.
अमृत काल- दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 01 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 22 मिनट से 03 बजकर 12 मिनट तक रहेगा.
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06 बजकर 31 मिनट से 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा.
सायाह्न सन्ध्या- शाम 06 बजकर 31 मिनट से 07 बजकर 40 मिनट तक रहेगा.

महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat) की पूजा विधि

– महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat) के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहन लें.
– पूजा के स्थान को साफ करके मां महालक्ष्मी की मूर्ति को चौकी पर सजाएं.
– चौकी या पाट पर लाल, पीला या केसरिये रंग का सूती कपड़ा बिछाकर उस पर स्वास्तिक बनाएं और थोड़े चावल रखें.
– चारों ओर फूल और आम के पत्तों से सजावट करें और पाट के सामने रंगोली बनाएं.
– श्रीयंत्र के साथ ही तांबे के कलश में पानी भरकर उस पर नारियल रखें.
– आसपास सुगंधित धूप, दीप, अगरबत्ती, आरती की थाली, आरती पुस्तक, प्रसाद आदि पहले से रख लें.
– परिवार के सभी सदस्य एकत्रित होकर महालक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करते हुए मूर्ति को पाट पर विराजमान करें.
– अब विधिवत पूजा करके आरती करें और लोगों को प्रसाद बांटें.

महालक्ष्मी व्रत v के उपाय

महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat)  के दौरान महालक्ष्मी के सभी 8 स्वरूपों का पूजा विधि-विधान करें. जो महिलाएं महालक्ष्मी व्रत रख रही हैं, वह रोजाना श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम का पाठ करें. माता लक्ष्मी की पूजा का आखिरी दिन कलश में जल, कुछ सिक्के और अक्षत डालें. फिर कलश पर आम के पत्ते रखकर नारियल रखें और चंदन, हल्दी आदि से पूजा करें. लक्ष्मी की पूजा के बाद दूर्वा की गांठ बनाकर इस पानी में डुबाएं और भी घर के सभी सदस्यों और कमरे में इससे छिड़के. इससे दरिद्रता से छुटकारा मिल जाता है. साथ ही उत्तम परिणाम भी मिलते हैं.

महालक्ष्मी व्रत (Mahalakshmi Vrat)  का महत्व

ऐसी मान्यता है कि महालक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में माता की विशेष कृपा धन, सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, वैभव प्राप्ति होती है. मां लक्ष्मी ही सभी लोगों की जिंदगी संवारती है. महालक्ष्मी व्रत करते हैं उन्हें जीवन में कभी धन या किसी भी चीज की कमी नहीं होती है. मां लक्ष्मी देवी की पूजा अर्चना और पाठ करने से घर में धन सुख और समृद्धि बनी रहती है. जिन लोगों को धन की समस्या से रोजाना परेशान होना पड़ता है, उन्हें ये व्रत जरुर करना चाहिए. इसके प्रताप से राजसुख जैसे योग बनते हैं व्यक्ति धन-दौलत पाता है और कंगाली दूर होती है.

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