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महादेव की कृपा मौत को भी जीत लेता है ये मंत्र, जानें इसका अर्थ

Writer D by Writer D
16/12/2024
in धर्म, Main Slider, फैशन/शैली
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Mahamrityunjaya Mantra

Mahamrityunjaya Mantra

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भगवान शिव (Lord Shiva) को देवाधिदेव महादेव माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और उन्हें किसी भी बात का भय नहीं सताता है। महादेव की आराधना के लिए समर्पित महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra ) भी बहुत प्रभावशाली माना जाता है। आइए, जानते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र की रचना किसने और क्यों की?

महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra )-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra ) अर्थ

हम तीन आंखों वाले यानी त्रिनेत्र धारी भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो इस पूरे विश्व का पालन-पोषण करते हैं। जिस प्रकार फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, उसी प्रकार हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो सकते हैं।

ऐसे हुई महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra ) की रचना

पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषि मृकंडु शिव के शाश्वत भक्त थे। उनका कोई पुत्र नहीं था, इसलिए उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की, जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए। महादेव ने ऋषि मृकण्डु को पुत्र का आशीर्वाद दिया, लेकिन यह भी कहा कि उनका पुत्र अल्पायु ही जीवित रहेगा। कुछ समय बाद ऋषि मृकण्डु के घर एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम मार्कण्डेय रखा गया। अपने पिता की तरह मार्कण्डेय जी भी भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। वह भी महादेव की भक्ति में लीन रहते थे।

मार्कण्डेय जी के माता-पिता को सदैव दुःख रहता था कि उनका पुत्र केवल 16 वर्ष ही जीवित रहेगा। अपने माता-पिता के इस दुःख को दूर करने के लिए ऋषि मार्कण्डेय ने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और शिव मंदिर में बैठकर इसका निरंतर जाप करते रहे। जैसे ही उनकी मृत्यु का समय नजदीक आया, तो यमदूत उनके प्राण हरने वहां पहुंचे। लेकिन ऋषि मार्कण्डेय को शिव भक्ति में लीन देखकर, वे लौट आए और यमराज को पूरी कहानी बताई।

इसके बाद यमराज स्वयं उनके प्राण लेने आए और उस पर अपने पाश का प्रयोग किया। इस दौरान मार्कण्डेय ने शिवलिंग को गले लगा लिया, जिससे पाश शिवलिंग पर गिर गया। यमराज की आक्रामकता देखकर, भगवान शिव क्रोधित हो गए और वहां प्रकट हो गए। तब यमराज ने भगवान शिव से कहा कि इस बालक की मृत्यु निश्चित है और यही विधि के अनुसार है। तब भगवान शिव ने मार्कण्डेय को लम्बी आयु का आशीर्वाद दिया और विधि का विधान बदल गया।

Tags: "mahamrityunjaya mantralord shivashiv chalisaShiv Mantrasomwar ke upaaysomwar ki pujasomwr ke totke
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