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वृन्दावन कुंभ में महंतों ने दूसरे शाही स्नान के बहिष्कार का फैसला लिया वापस

vrindavan kumbh

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उत्तर प्रदेश की कान्हा नगरी मथुरा में यमुना में प्रदूषण की स्थिति में सुधार होने के बाद वृन्दावन कुंभ में आए तीनों अनी अखाड़ों के महन्तों ने दूसरे शाही स्नान का बहिष्कार करने का निर्णय वापस ले लिया है।

उत्तर प्रदेश बृज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ एवं वृन्दावन कुंभ के मेला अधिकारी नगेन्द्र प्रताप ने बताया कि यमुना के स्नान स्थल की बेहतर सफाई तथा यमुना में अतिरिक्त गंगाजल छोड़ने के बाद संगम का जल निर्मल हो गया है और यमुना जल की निर्मलता से तीनों अनि अखाड़ों के महन्त संन्तुष्ट हैं। वैसे भी कुंभ में सफाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

वृन्दावन कुंभ में 27 फरवरी को आयोजित पहले शाही स्नान के बाद निर्वाणी अनी अखाड़ा, निर्मोही अनि अखाड़ा एवं दिगम्बर अनि अखाड़ा के श्री महन्तों ने यमुना जल अति प्रद्दूषित होने के कारण अगले शाही स्नान में यमुना की स्थिति में परिवर्तन न होने पर शाही स्नान का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी थी। महा निर्वाणी अनि अखाड़ा के महन्त धर्मदास, पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा के महन्त कृष्णदास की उपस्थिति में निर्मोही अनि अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महन्त राजेन्द्र दास ने बताया कि यमुना का जल बेहतर हो जाने के कारण अब तीनो अखाड़ों द्वारा शाही स्नान के बहिष्कार को वापस ले लिया गया है।

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उन्होंने बताया कि शाही स्नान के पहले तीनो अनी अखाड़ों के नेतृत्व में हनुमान जी के ध्वज के एवं 18 अखाड़ों के साथं कुंभ से शाही पेशवाई निकाली जाएगी जो वृन्दावन नगर के विभिन्न मार्गों से होती हुई वापस कुंभ पर समाप्त होगी। ध्वज के पूजन के बाद पहले तीनो अनी अखाड़ों के महन्त श्री स्नान करेंगे इसके बाद अन्य संत, महन्त, महामंडलेश्वर स्नान करेंगे और बाद में सामान्यजन स्नान करेंगे।शाही पेशवाई में तीनो अनी अखाड़ों के साथ ही वृन्दावन कुंभ में आए संत, महन्त एवं अन्य भक्त भी भाग लेंगे।

महंत ने सरकार से यह भी कहा है कि वह यमुना के प्रद्दूषण को दूर करने के लिए स्थाई व्यवस्था करें जिससे लोगों के स्नान करने से जो पवित्र नदियां प्रदूषित होती है उन्हें शुद्ध करने के लिए तीनो अनि अखाड़ों के महन्त उनमें बिना व्यवधान के स्नान करें। पवित्र नदियों ने भगवान से प्रार्थना की थी कि लोगों के स्नान करने से जिस प्रकार से वे प्रद्दूषित हो जाती हैं उसे दूर करने की व्यवस्था करें तो भगवान विष्णु ने यह व्यवस्था दी थी।

राजेन्द्र दास के अनुसार शाही पेशवाई के माध्यम से अपने आराध्य हनुमान जी महराज, धर्म निशानो नगर परिक्रमा और फिर शाही स्नान करने की परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। इसके बाद ही संत , महन्त आदि स्नान करते हैं।

यमुना की दुर्दशा से आहत होकर प्रथम शाही स्नान के बाद तीनों अनी अखाड़ों के महन्तों द्वारा दूसरे शाही स्नान का बहिष्कार करने की घोषणा पर सांसद हेमामालिनी ने जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दूसरे और तीसरे शाही स्नान के पहले यमुना में अतिरिक्त गंगाजल छोड़कर यमुना को निर्मल बनाने का अनुरोध किया था वहीं अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक ने इस प्रकार का अनुरोध प्रधानमंत्री से किया था।

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