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शिक्षा का प्रकाश स्तम्भ बना महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय

Mahayogi Gorakhnath University

Mahayogi Gorakhnath University

गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय (Mahayogi Gorakhnath University ) अपनी स्थापना के एक साल में ही समय के अनुकूल शिक्षा मुहैया करवाने वाले प्रकाश स्तम्भ के रूप में प्रतिष्ठित हुआ है। भारतीय संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित-संवर्धित करते हुए वर्तमान मांग के अनुरूप रोजगारपरक शिक्षा के पाठ्यक्रमों को शुरू किया और थोड़े समय में ही इस अपनी पहचान कायम कर ली है।

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय (Mahayogi Gorakhnath University) के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव बताते हैं कि इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन व उनके मार्गदर्शन में केवल एक साल में बीएएमएस समेत दर्जनभर से अधिक रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की शुरुआत हुई। शोध-अनुसंधान के लिए कई प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ हुए एमओयू भी हुआ है। गोरखपुर को नॉलेज सिटी बनाने के लिए इस संस्थान की प्रतिबद्धता अब दिखाने लगी है।

उन्होंने बताया कि 28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों लोकार्पित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय एक साल में ही शिक्षा के विशिष्ट व प्रमुख केंद्र के रूप में विख्यात हो चुका है। यहां भारतीय ज्ञान मूल्यों का संरक्षण व संवर्धन, वर्तमान और भावी समय को ध्यान में रखकर अनुसंधानिक तरीके से किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ध्यान में रखकर यहां के पाठ्यक्रम का निर्धारण हुआ। ये सभी पाठयक्रम न सिर्फ समाज के लिए लाभकारी हैं बल्कि विद्यार्थी के लिए सहज रोजगारदायी भीड़ हैं।

डॉ राव के मुताबिक इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) की मंशा है कि वर्ष 2032 तक गोरखपुर को ”नॉलेज सिटी” के रूप में स्थापित कर दिया जाय। बता दें कि 10 दिसम्बर 2018 को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में आए तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने परिषद के शताब्दी वर्ष 2032 तक गोरखपुर को नॉलेज सिटी बनाने का आह्वान किया था। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कदम निवर्तमान राष्ट्रपति के आह्वान और अपने कुलाधिपति की मंशा के अनुरूप आगे बढ़ चुके हैं।

विचारों का प्रकल्प है विश्वविद्यालय (Mahayogi Gorakhnath University)

इस विश्वविद्यालय की नींव में युग पुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज व राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज के विचार आरोपित किया गए हैं। उनका मानना था कि दासता से मुक्ति, स्वावलंबन व सामाजिक विकास के लिए शिक्षा को सशक्त माध्यम बनाया जाए।

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कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ इसी वैचारिक परंपरा को ऐज बढ़ा रहे हैं। इसी लक्ष्य की दिशा में कदम बढ़ाते हुए महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में बीएएमएस की 100 सीटों पर प्रथम सत्र का सफलतापूर्वक संचालन हो रहा है। अगले सत्र से एमबीबीएस की कक्षाएं भी प्रारंभ करने की तैयारी पूरी है। गुरु श्री गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग में अनेक रोजगारदायी पाठ्यक्रम पूर्ण क्षमता से संचालित हैं। विश्वविद्यालय में इस सत्र से दर्जन भर से अधिक नए रोजगारपरक पाठ्यक्रम शुरू हुए हैं।

ये शुरू हुए हैं पाठ्यक्रम

शुरू होने वाले पाठ्यक्रमों में नर्सिंग, पैरामेडिकल, एग्रीकल्चर, एलॉयड हेल्थ साइंसेज और आयुर्वेद फार्मेसी से संबंधित डिप्लोमा से लेकर मास्टर तक की डिग्री शामिल है। अभी दो वर्षीय एएनएम, तीन वर्षीय जीएनएम, चार वर्षीय बीएससी नर्सिंग, दो वर्षीय पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग, दो वर्षीय एमएससी नर्सिंग, डिप्लोमा इन डायलिसिस, डिप्लोमा इन आप्टिमेट्री, डिप्लोमा इन इमरजेंसी एंड ट्रामा केयर, डिप्लोमा इन एनेस्थिसिया एंड क्रिटिकल केयर, डिप्लोमा इन आर्थोपेडिक एंड प्लास्टर टेक्निशियन, डिप्लोमा इन लैब टेक्निशियन (सभी दो वर्षीय), चार वर्षीय बीएससी एग्रीकल्चर, बीएससी ऑनर्स बॉयोटेक्नालोजी, बीएससी आनर्स बॉयोकेमिस्ट्री, बीएससी आनर्स माइक्रोबॉयोलोजी (सभी तीन वर्षीय), दो वर्षीय एमएससी बॉयोटेक्नालोजी, तीन वर्षीय एमएससी मेडिकल बॉयोकेमिस्ट्री, तीन वर्षीय एमएससी मेडिकल माइक्रोबॉयोलोजी, दो वर्षीय एमएससी एनवायरमेंटल साइंस, चार वर्षीय बी फार्मा व दो वर्षीय डी फार्मा आदि की शिक्षा और डिग्री दी जा रही है। ये सभी पाठ्यक्रम वर्तमान दौर में रोजगारपरक हैं।

चिकिसा, शिक्षा क्षेत्र में एमओयू हुए

चिकिसा, शिक्षा, अनुसंधान, रोजगार व ग्राम्य विकास के क्षेत्र में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ने एम्स गोरखपुर, केजीएमयू लखनऊ, आरएमआरसी गोरखपुर, महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद, वैद्यनाथ आयुर्वेद, इंडो-यूरोपियन चैंबर ऑफ स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के साथ एमओयू का आदान-प्रदान किया है। इन एमओयू के माध्यम से बीमारियों पर शोध के साथ ही आयुर्वेद के क्षेत्र में स्टार्टअप, दवा निर्माण, औषधीय खेती को बढ़ावा मिलेगा तो विश्व स्तरीय अनुसंधान के मार्ग प्रशस्त होंगे। गांवों में कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाएगा।

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